गोवर्धन पूजा, जिसे कुछ क्षेत्रों में अन्नकूट भी कहते हैं, का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा की जाती है। परंपरा अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को 56 प्रकार के पकवानों का भोग चढ़ाया जाता है।
गोवर्धन पूजा की विधि
घर के आंगन या मुख्य द्वार के सामने गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाएं। इसके बाद रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक अर्पित कर गोवर्धन भगवान की पूजा करें। मान्यता है कि विधिपूर्वक सच्चे मन से गोवर्धन पूजा करने से साल भर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा बनी रहती है। पूजा के अंत में भगवान की आरती करें।
पौराणिक मान्यता
कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों की रक्षा की थी। इस घटना के बाद उन्होंने इंद्र का अभिमान तोड़ा और गोवर्धन की पूजा की थी। लोग इस दिन अपने घरों के द्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का निर्माण कर उसकी पूजा करते हैं। कई लोग गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाते हैं, तो कुछ लोग इसी गोबर से भगवान गोवर्धन की आकृति तैयार करते हैं।
गोवर्धन पूजा के शुभ मुहूर्त (2024)
इस साल गोवर्धन पूजा 2 नवंबर, शनिवार को की जाएगी। सुबह 6:34 से 8:46 बजे तक का मुहूर्त, 8:00 से 9:23 बजे तक का शुभ समय, और दोपहर 3:23 से 5:35 बजे तक का समय पूजा के लिए उपयुक्त है।
पूजा के विधि-विधान
सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद गोवर्धन पूजा का संकल्प लें। शुभ मुहूर्त में घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाएं। बीच में भगवान श्रीकृष्ण का चित्र रखें, फूलों की माला पहनाएं, कुमकुम और चावल अर्पित करें। दीपक जलाएं और विभिन्न पकवानों का भोग लगाकर आरती करें। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण, इंद्र, वरुण, अग्नि और राजा बलि की पूजा करने का विधान है। जरूरतमंद ब्राह्मण को भोजन कराकर दान देने का भी महत्व है।
अन्य परंपराएं
अन्नकूट पर्व के रूप में भी मनाए जाने वाले इस दिन, घरों और मंदिरों में श्रीकृष्ण को विभिन्न पकवानों का भोग लगाया जाता है। भक्त, गोबर से बने गोवर्धन पर्वत के साथ भगवान श्रीकृष्ण, गायों, और अन्य आकृतियां बनाकर पूजा करते हैं। मथुरा और नाथद्वारा के मंदिरों में भगवान का विशेष श्रृंगार और अभिषेक होता है, और इस दिन पंचमेल खिचड़ी बनाकर भोजन प्रसाद वितरित किया जाता है।