नयी दिल्ली। भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में एक बार फिर गिरावट दर्ज की गई है, जो पिछले सप्ताह की समाप्ति तक जारी रही। भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों के निरंतर निकासी के चलते इस गिरावट का मुख्य कारण रहा। 25 अक्टूबर 2024 को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में $3.46 बिलियन की गिरावट दर्ज हुई, जिससे अब यह $684.805 बिलियन पर आ गया है। इस गिरावट की स्थिति लगातार चौथे सप्ताह देखी जा रही है। इसके विपरीत, पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में हाल ही में बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिससे पड़ोसी देश की वित्तीय स्थिति कुछ सुधरी है।
विदेशी मुद्रा भंडार और इसके घटते स्तर
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इस साल के सितंबर के अंतिम सप्ताह में $704.885 बिलियन के उच्चतम स्तर पर था। इसके बाद से इसमें गिरावट का सिलसिला जारी है। 25 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में आई $3.46 बिलियन की गिरावट से यह $684.805 बिलियन पर आ गया है। इसी के साथ, भारतीय फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) में भी गिरावट दर्ज की गई है। FCA भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और 25 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान इसमें $4.484 बिलियन की कमी देखी गई, जिससे इसका स्तर घटकर $593.751 बिलियन पर आ गया है।
स्वर्ण भंडार में बढ़ोतरी
वहीं, भारत के स्वर्ण भंडार (गोल्ड रिजर्व) में 25 अक्टूबर 2024 को समाप्त सप्ताह के दौरान $1.082 बिलियन की वृद्धि दर्ज की गई। इससे भारत का कुल गोल्ड रिजर्व अब बढ़कर $68.527 बिलियन हो गया है। गोल्ड रिजर्व में हुई इस बढ़ोतरी से भंडार की गिरावट को कुछ हद तक संतुलित करने की कोशिश की गई है, जो भारत के आर्थिक मोर्चे पर एक सकारात्मक संकेत है।
एसडीआर और आईएमएफ रिजर्व में गिरावट
विशेष आहरण अधिकार (SDR) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास रखे गए भारतीय भंडार में भी गिरावट देखी गई। समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान एसडीआर में 52 मिलियन डॉलर की गिरावट आई, जिससे यह घटकर $18.219 बिलियन रह गया है। साथ ही, IMF के पास भारतीय रिजर्व मुद्रा भंडार में भी 9 मिलियन डॉलर की कमी दर्ज हुई, जिससे इसका स्तर घटकर $4.307 बिलियन हो गया है।
विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार से मोहभंग
भारत के शेयर बाजार में हाल के दिनों में विदेशी निवेशकों का रुझान कमजोर हुआ है, जिससे बाजार में मंदड़ियों का बोलबाला देखा गया। इससे विदेशी मुद्रा भंडार पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, क्योंकि विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय बाजार से धन निकालकर अन्य जगह निवेश किया जा रहा है। पिछले चार सप्ताह से लगातार गिरावट दर्ज करना भारत के लिए एक चुनौती है, जबकि पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देश ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि की है, जो भारत के मुकाबले एक विपरीत तस्वीर प्रस्तुत करता है।
इस प्रकार, भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में दर्ज हो रही निरंतर गिरावट देश की अर्थव्यवस्था के लिए चिंताजनक है। हालाँकि, गोल्ड रिजर्व में हुई बढ़ोतरी और SDR में हल्की गिरावट ने कुल विदेशी मुद्रा स्थिति को कुछ हद तक संतुलित किया है, फिर भी आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए विदेशी निवेशकों का विश्वास पुनः प्राप्त करना और विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि करना आवश्यक है।