कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। नागरिकता पर सवाल उठाते हुए उनके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। इस मुद्दे पर सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है और दिल्ली हाईकोर्ट ने इसकी जानकारी हासिल की है।
दिल्ली हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि एक ही मुद्दे पर अलग-अलग अदालतों में सुनवाई नहीं हो सकती। अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस याचिका से जुड़े याचिकाकर्ता विग्नेश शिशिर को दो हफ्तों में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने जानकारी दी कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले पर कार्यवाही उन्नत चरण में है। शिशिर की याचिका में राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और संसद की सदस्यता रद्द करने की मांग की गई है। इस मामले में विदेश मंत्रालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में सील कवर में एक रिपोर्ट भी जमा की है।
इस मामले की अगली सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट में 6 दिसंबर को होगी। यहां याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी ओर से दाखिल याचिका को अलग बताते हुए कहा कि उनकी याचिका का उद्देश्य सिर्फ यह स्थापित करना है कि राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं और भारतीय नागरिक नहीं हैं। स्वामी ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने वर्ष 2019 में गृह मंत्रालय को इस बारे में पत्र लिखा था, जिसका अभी तक कोई उत्तर नहीं मिला है।
स्वामी के अनुसार, शिशिर की याचिका का उद्देश्य राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक अभियोजन शुरू करना है, जबकि उनकी याचिका में यह स्थापित करने का प्रयास है कि राहुल गांधी एक समय में दोनों देशों के नागरिक नहीं हो सकते। स्वामी का दावा है कि उनके पास दस्तावेजी साक्ष्य हैं, जिनसे यह साबित होता है कि राहुल गांधी ने ब्रिटिश नागरिकता का दावा किया है, जो भारतीय नागरिकता कानून के तहत संविधान के अनुच्छेद 9 का उल्लंघन है।
इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने केंद्र से पूछा था कि क्या उसने नागरिकता अधिनियम 1955 के अंतर्गत शिशिर द्वारा प्रस्तुत याचिका पर कोई निर्णय लिया है। शिशिर का कहना है कि उन्होंने इस मुद्दे पर विस्तृत जांच की है, जिससे नई जानकारी सामने आई है। वहीं, स्वामी ने दावा किया कि उन्होंने मंत्रालय को कई बार निवेदन भेजे, लेकिन न तो कोई कार्रवाई की गई और न ही उन्हें इस बारे में कोई सूचना प्राप्त हुई।
इस विवाद ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की स्थिति को पेचीदा बना दिया है, क्योंकि उनकी नागरिकता पर सवाल उठाने से यह मुद्दा कानूनी और राजनीतिक जटिलताओं में उलझ गया है।