श्रीनगर

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में हंगामा: भाजपा विधायकों को मार्शलों ने बाहर निकाला, स्पीकर बोले- “इसी लायक हैं”

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में गुरुवार को लगातार पांचवें दिन तीखी बहस और हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। विवाद तब बढ़ा जब भाजपा विधायकों और सदन के मार्शलों के बीच बहस शुरू हो गई, जिसके बाद मार्शलों ने भाजपा के तीन विधायकों को बाहर निकाल दिया। इस घटना के बाद स्पीकर अब्दुल रहीम राथर को सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित करनी पड़ी।
घटनाक्रम का विवरण
गुरुवार को जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई, तो भाजपा विधायकों ने बुधवार को पारित एक प्रस्ताव के विरोध में सदन के वेल में जाकर हंगामा करना शुरू कर दिया। ये प्रस्ताव जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे और संवैधानिक गारंटी पर आधारित था, जिसे उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने पेश किया था। प्रस्ताव में विशेष दर्जे की सुरक्षा पर चिंता जताई गई थी, जिससे भाजपा ने असहमति जताई।
हंगामे के दौरान हाथापाई: विधायक आसन के पास विरोध जताने पहुंचे, जिसके बाद स्पीकर के आदेश पर मार्शलों ने उन्हें बाहर निकालने का प्रयास किया। इस दौरान हाथापाई भी हुई, और मार्शलों ने तीन भाजपा विधायकों को बाहर फेंक दिया। मार्शलों द्वारा दरवाजे बंद कर दिए जाने पर अन्य भाजपा विधायकों ने भी सदन में शोर-शराबा करना शुरू कर दिया। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि स्पीकर को कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
स्पीकर की प्रतिक्रिया
हंगामे के बीच स्पीकर अब्दुल रहीम राथर ने व्यवस्था बहाल करने का प्रयास किया। उन्होंने भाजपा विधायकों को बाहर निकाले जाने के आदेश देते हुए कहा, “वे इसी लायक हैं, उन्हें बाहर निकालो।” स्पीकर की इस टिप्पणी पर भी काफी विवाद हुआ और भाजपा विधायकों ने इस पर नाराजगी जताई।
विवाद का कारण
भाजपा विधायकों का विरोध उस प्रस्ताव से था, जिसमें जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को बनाए रखने की पुष्टि की गई थी। इस प्रस्ताव में कहा गया कि जम्मू-कश्मीर की पहचान, संस्कृति और अधिकारों की रक्षा के लिए यह विशेष दर्जा महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही एकतरफा तरीके से इसे हटाने पर भी चिंता जताई गई थी।
मंत्री का बयान
सदन की कार्यवाही के दौरान, मंत्री सतीश शर्मा ने भाजपा पर “फूट डालो और राज करो” की नीति अपनाने का आरोप लगाया और यह भी कहा कि “भारत माता सभी की है।” उन्होंने इस मुद्दे पर सदन में एकजुटता बनाए रखने पर जोर दिया। बुधवार को भी इसी प्रस्ताव के कारण अव्यवस्था उत्पन्न हुई थी, जिसके कारण सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी।
इस घटनाक्रम के बाद राजनीतिक तनाव बढ़ता हुआ नजर आ रहा है, और यह स्थिति विधानसभा के आगामी सत्रों में और विवाद उत्पन्न कर सकती है।

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