जोधपुर। ब्यूटीशियन अनीता चौधरी हत्याकांड को लेकर चल रहे 21 दिन लंबे धरने का मंगलवार को अंत हो गया। नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व और सरकार से वार्ता के बाद परिजनों की मांगों पर सहमति बनी। इसके बाद अनीता का अंतिम संस्कार किया गया।
बता दें कि ब्यूचीशियन अनीता चौधरी 28 अक्टूबर को लापता हुई थीं। दो दिन के बाद यानी 30 अक्टूबर को उनका शव 10 फीट गहरे गड्ढे से बरामद किया गया। इसके बाद जांच में पता चला कि गुलामुद्दीन फारूकी ने व्यक्तिगत विवाद के चलते अनीता की हत्या की और शव को जमीन में गाड़ दिया था।
इसके बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी गुलामुद्दीन फारूकी और उसकी पत्नी आबिदा को गिरफ्तार किया था। आबिदा ने ही पुलिस को हत्या की जानकारी दी। इसके अलावा सुमन नाम की महिला को भी गिरफ्तार किया गया जिसकी इस मामले में संलिप्त पायी गयी।
पुलिस की धीमी कार्रवाई से चौधरी का परिवार असंतुष्ट था और कुछ मांगों को लेकर धरने पर बैठा हुआ था। न्याय ना मिलने तक परिवार ने अनीता चौधरी के शव का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया था। इस धरने का नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने नेतृत्व किया और राज्य सरकार को परिजनों की मांगें मानने के लिए मजबूर किया। अब यह धरना समाप्त हो गया और मंगलवार को अनीता का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
अब राज्य सरकार पूरे मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश करने की मांग को स्वीकार कर लिया है हालांकि सीबीआई की मंजूरी तक पुलिस जांच जारी रहेगी। इसके अलावा संभाग स्तरीय कमेटी गठित कर जांच पर निगरानी रखने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा जोधपुर डीसीपी वेस्ट राजऋषि राज वर्मा और सरदारपुरा थाना प्रभारी दिलीप सिंह शेखावत को पद से हटाने का फैसला भी किया गया है। इसके अलावा अनीता चौधरी का परिवार आर्थिक सहायता और एक व्यक्ति को नौकरी की भी मांग कर रहा था। इस मांग को स्वीकार करते हुए तय किया गया है कि अनीता चौधरी के परिवार को 51 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी और मृतक अनीता चौधरी के पुत्र को संविदा पर नौकरी प्रदान की जाएगी।