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बांग्लादेश में गिरफ्तार हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास प्रभु का समर्थन करते हुए आया इस्कॉन का बयान, एक दिन पहले खुद को मामले से अलग किया था..!

ढाका। द इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्ण कॉनेशियसनेस (इस्कॉन) ने शुक्रवार, 29 नवंबर को बांग्लादेश में राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास प्रभु का समर्थन किया। इससे पहले उनकी गिरफ्तारी के बाद संगठन ने उनसे दूरी बनाने की खबरें आयी थीं।
ISCKON बांग्लादेश के महासचिव चारु चंद्र दास ब्रह्मचारी हवाले से कहा गया था कि अनुशासन का उल्लंघन करने के कारण चिन्मय कृष्ण दास को संगठन के सभी पदों से हटा दिया गया है। द ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रह्मचारी ने स्पष्ट किया था कि ISKCON का चिन्मय कृष्ण दास की गतिविधियों से कोई संबंध नहीं है।
लेकिन, उन बयानों का खण्डन करते हुए इस्कॉन की ओर से कहा गया है, “हमारे कई प्रेस बयान और साक्षात्कार इस बात को स्पष्ट करते हैं। हमने केवल यह स्पष्ट किया है, जो हमने पहले कई महीनों में कहा था, कि वह बांग्लादेश में इस्कॉन का आधिकारिक प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।”


संगठन के एक अन्य आधिकारिक खाते से एकजुटता का संदेश पोस्ट किया गया, जिसमें कहा गया, “इस्कॉन, इंक. श्री चिन्मय कृष्ण दास के साथ खड़ा है। हमारे सभी भक्तों की सुरक्षा के लिए भगवान कृष्ण से हमारी प्रार्थना है।”
‘इस्कॉन बांग्लादेश के प्रवक्ता नहीं हैं’
इससे पहले, इस्कॉन ने कहा था कि दास के विचार उनके व्यक्तिगत हैं और संगठन की स्थिति को नहीं दर्शाते। इस्कॉन बांग्लादेश के महासचिव चारु चंद्र दास ने गुरुवार को एक बयान में कहा, “चिन्मय कृष्ण दास इस्कॉन बांग्लादेश के प्रवक्ता नहीं हैं और इसलिए उनके विचार पूरी तरह से व्यक्तिगत हैं।”
दास की गिरफ्तारी के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों से इस्कॉन का इनकार
इस्कॉन बांग्लादेश ने उन आरोपों को भी खारिज किया, जिनमें कहा गया कि दास की गिरफ्तारी के बाद हुए प्रदर्शनों से संगठन का संबंध था। इन प्रदर्शनों में एक वकील की मौत हो गई थी। संगठन ने इन आरोपों को बदनाम करने का अभियान बताया।
चारु चंद्र दास ब्रह्मचारी ने कहा, “बांग्लादेश में हाल की घटनाओं से जुड़े इस्कॉन को बदनाम करने और समाज में अशांति फैलाने के लिए झूठे और दुर्भावनापूर्ण अभियानों की एक श्रृंखला चलाई जा रही है।”
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी का कारण
चिन्मय कृष्ण दास को चिटगांव में एक रैली के दौरान राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। यह रैली बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के साथ हुए दुर्व्यवहार के खिलाफ आयोजित की गई थी। उन्हें जमानत देने से इनकार कर जेल भेज दिया गया, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। हालात तब और बिगड़ गए, जब सहायक लोक अभियोजक सैफुल इस्लाम की प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हुई झड़प में मौत हो गई।
बांग्लादेश हाई कोर्ट ने इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की याचिका खारिज की
इसी बीच, बांग्लादेश हाई कोर्ट ने इस्कॉन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। अटॉर्नी जनरल कार्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा, “न्यायमूर्ति फराह महबूब और न्यायमूर्ति देवाशीष रॉय चौधरी की दो सदस्यीय पीठ ने बांग्लादेश में इस्कॉन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया।”

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