अदालत

संभल मस्जिद मामला: सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को कार्यवाही रोकने का निर्देश दिया, मस्जिद कमेटी को हाईकोर्ट जाने की सलाह

नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संभल की शाही ईदगाह मस्जिद मामले में ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि जब तक मस्जिद की शाही ईदगाह कमेटी हाईकोर्ट का रुख नहीं करती, तब तक कार्यवाही आगे न बढ़ाई जाए। यह मामला उस घटना से जुड़ा है जिसमें 24 नवंबर को सांभल के कोट गढ़वी इलाके में शाही जामा मस्जिद पर कोर्ट के आदेश पर सर्वे कराने के दौरान हिंसा हुई थी। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हुई और कई, जिनमें पुलिसकर्मी भी शामिल थे, घायल हुए।
सर्वे और विवाद
सर्वे का आदेश एक याचिका के बाद दिया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद की वर्तमान जगह पर कभी हरिहर मंदिर स्थित था। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को संभल में “शांति और सौहार्द” बनाए रखने का निर्देश दिया है और मस्जिद सर्वेक्षण को लेकर ट्रायल कोर्ट को 8 जनवरी तक कोई भी कार्यवाही करने से रोका है।
मस्जिद कमेटी को हाईकोर्ट जाने की सलाह
सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी को सलाह दी है कि वे ट्रायल कोर्ट के सर्वेक्षण आदेश को चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करें। साथ ही, कोर्ट ने कहा कि याचिका दाखिल होने के तीन दिनों के भीतर इसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।
सर्वे रिपोर्ट गोपनीय
एडवोकेट कमिश्नर द्वारा तैयार की गई सर्वे रिपोर्ट को गोपनीय रखा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हमें उम्मीद है कि ट्रायल कोर्ट तब तक कोई भी कदम नहीं उठाएगा जब तक हाईकोर्ट मामले की समीक्षा करके उचित आदेश नहीं देता।”
संबंधित आदेश और आगे की कार्यवाही
• सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह इस मामले के गुण-दोष पर कोई राय नहीं दे रहा है।
• मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी।
जांच आयोग का गठन
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 24 नवंबर को हुई हिंसा की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग के गठन की घोषणा की है। यह आयोग दो महीने के भीतर अपनी जांच पूरी करेगा, और आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त समय के लिए सरकार से अनुमति लेनी होगी।
• आयोग के सदस्य:
o जस्टिस देवेंद्र कुमार अरोड़ा (सेवानिवृत्त इलाहाबाद हाईकोर्ट न्यायाधीश)
o अमित मोहन प्रसाद (सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी)
o अरविंद कुमार जैन (सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी)
आयोग इस बात की जांच करेगा कि हिंसा स्वतःस्फूर्त थी या पूर्व-नियोजित साजिश का हिस्सा। साथ ही, स्थानीय प्रशासन और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में पुलिस की तत्परता का भी आकलन किया जाएगा। यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के बीच कानूनी प्रक्रिया के तहत आगे बढ़ेगा।

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