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सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष ने सुसाइड नोट में लिखा कि पत्नी ने कोर्ट में कहा, , “अरे तुम अभी तक सुसाइड नहीं किए?” लेकिन, जज बात पर हंस रही थीं..!”

जौनपुर। सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के मामले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। 34 वर्षीय AI इंजीनियर अतुल ने अपने घर पर आत्महत्या कर ली। इस घटना से पहले उन्होंने 90 मिनट का वीडियो बनाया और 24 पेज का सुसाइड नोट लिखा, जिसमें अपनी पत्नी, ससुराल वालों और फैमिली कोर्ट की जज पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
अतुल ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि शादी के बाद से उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया और ससुराल वालों ने उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। उन्होंने सुसाइड नोट में लिखा है कि पत्नी ने हत्या, हत्या के प्रयास, घरेलू हिंसा और दहेज के झूठे आरोपों में केस दर्ज करवाए। इन मामलों के लिए अब तक 120 बार कोर्ट में तारीखें लग चुकी हैं।
अतुल ने सुसाइड नोट में लिखा है कि उनसे पैसों की मांग जाती रही है। तलाक के लिए ₹3 करोड़ और ₹2 लाख मासिक गुजारा भत्ता मांगा गया। यहां तक कि उन्हें उनके बेटे से मिलने तक पर रोक लगाई गई। अतुल ने प्रिंसिपल फैमिली कोर्ट की जज रीता कौशिक पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने लिखा है कि उनसे केस को जल्दी निपटाने के लिए ₹5 लाख की रिश्वत मांगी गयी। इसके अलावा कोर्ट के पेशकार ने भी ₹3 लाख की रिश्वत की मांग की थी।
अतुल ने लिखा कि केस की सुनवाई के दौरान पक्षपात किया गया और उसका उपहास भी उड़ाया गया। जब उसने यानी अतुल ने पत्नी द्वारा कोर्ट में आत्महत्या के लिए उकसाने की बात कही तो इस पर जज रीता कौशिक का हंस रही थीं। उन्होंने ₹80,000 मासिक एलिमनी और ₹3 करोड़ मेंटेनेंस का आदेश पारित किया।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि अतुल ने सुसाइड से पहले 90 मिनट का वीडियो बनाया और 24 पन्नों का सुसाइड नोट लिखा। अतुल ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी ने कोर्ट में कहा, “अरे तुम अभी तक सुसाइड नहीं किए?” लेकिन, जज ने इस बात पर हंसते हुए प्रतिक्रिया दी। अतुल ने सुसाइड नोटे के दौरान अंतिम इच्छा जाहिर करते हुए न्याय न मिलने पर अपनी अस्थियां कोर्ट के सामने गटर में बहाने की बात कही। इसके अलावा उसने अपने बच्चे की जिम्मेदारी माता-पिता को सौंपने का अनुरोध।
मां का रो-रोकर बुरा हाल
अतुल की मौत के बाद उनकी मां का रो-रोकर बुरा हाल है। वह बार-बार यही कह रही हैं कि उनके बेटे को न्याय मिलना चाहिए। अतुल के भाई ने कहा कि उनका परिवार कभी नहीं सोच सकता था कि शादी का सपना इस कदर बर्बाद हो जाएगा।
कौन हैं जज रीता कौशिक
रीता कौशिक वर्तमान में जौनपुर के प्रिंसिपल फैमिली कोर्ट की जज हैं। उनका जन्म 1 जुलाई 1968 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुआ। उन्होंने न्यायिक सेवा में अपने करियर की शुरुआत 20 मार्च 1996 को मुंसिफ के रूप में की।
वर्ष 1999 में रीता कौशिक सहारनपुर में जूडिशियल मजिस्ट्रेट के पद पर नियुक्त हुईं। इसके बाद, 2000 से 2002 तक उन्होंने मथुरा में एडिशनल सिविल जज के रूप में कार्य किया। मथुरा में ही उन्हें सिविल जज के पद पर पदोन्नति मिली। साल 2003 में उनका तबादला अमरोहा कर दिया गया, जहां उन्होंने सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के रूप में सेवाएं दीं। 2003 से 2004 तक वह लखनऊ में स्पेशल चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट (सीजेएम) के रूप में कार्यरत रहीं।
इसके बाद उन्हें प्रमोशन मिला और वह एडिशनल चीफ जूडिशियल मजिस्ट्रेट बन गईं। अपने न्यायिक करियर के दौरान उन्होंने अयोध्या में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में भी काम किया।
2018 में उन्हें अयोध्या में फैमिली कोर्ट का प्रिंसिपल जज नियुक्त किया गया। वर्तमान में, वह जौनपुर में फैमिली कोर्ट की प्रिंसिपल जज के तौर पर अपनी सेवाएं दे रही हैं और अपने अनुभव के आधार पर न्यायिक प्रक्रिया में योगदान दे रही हैं।
सिस्टम पर उठे सवाल
सोशल एक्टिविस्ट बरखा त्रेहान ने इस मामले को सिस्टम की विफलता बताया। उन्होंने कहा, “अतुल की आत्महत्या इस बात का प्रमाण है कि हमारा न्यायिक और सामाजिक तंत्र पीड़ितों को राहत देने में विफल हो रहा है।”
पुलिस कार्रवाई और अगला कदम
अतुल की आत्महत्या के बाद उनकी पत्नी और ससुराल वालों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया गया है। इस घटना ने न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता और सुधार की मांग को एक बार फिर से प्रमुखता से उठा दिया है।

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