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चैंपियंस ट्रॉफी में भाग ना लेने का फैसला लिया तो पाकिस्तान पर पड़ेगा भारी..!

नई दिल्ली। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) यदि ICC चैंपियंस ट्रॉफी में हिस्सा लेने से इनकार करता है तो उसे गंभीर वित्तीय के साथ कानूनी परेशानियों और क्रिकेट समुदाय से बहिष्करण का सामना करना पड़ सकता है। यह विवाद फरवरी-मार्च में होने वाले इस 50 ओवर के टूर्नामेंट को लेकर ICC के साथ लंबे समय से चल रहे मतभेदों के कारण उभरा है।
ICC टूर्नामेंटों में अनुभव रखने वाले एक प्रभावशाली क्रिकेट अधिकारी ने बुधवार को बताया कि यदि PCB चैंपियंस ट्रॉफी में हिस्सा नहीं लेता है, तो वह बड़ी मुसीबत में फंस सकता है, खासकर अगर ICC और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) हाइब्रिड मॉडल प्रस्ताव को पूरी तरह से मंजूरी नहीं देते। अधिकारी ने स्पष्ट किया, “पाकिस्तान ने न केवल ICC के साथ एक होस्ट एग्रीमेंट साइन किया है, बल्कि अन्य सभी प्रतिभागी देशों की तरह, उसने ICC के साथ एक अनिवार्य सदस्यता भागीदारी समझौता (MPA) भी किया है।”
उन्होंने कहा, “ICC इवेंट में खेलने के लिए किसी सदस्य देश द्वारा MPA पर हस्ताक्षर करने के बाद ही वह ICC इवेंट्स से होने वाली राजस्व की हिस्सेदारी प्राप्त करने के योग्य होता है।” सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब ICC ने अपने सभी इवेंट्स के प्रसारण अधिकारों के लिए एक सौदा किया, तो उन्होंने प्रसारकों को यह गारंटी दी कि सभी सदस्य देश उनके इवेंट्स में खेलने के लिए उपलब्ध रहेंगे, जिसमें चैंपियंस ट्रॉफी भी शामिल है।
हाइब्रिड मॉडल और भारत-पाकिस्तान मैचों की भूमिका
अगले साल की चैंपियंस ट्रॉफी में एक नया हाइब्रिड मॉडल पेश किया गया है, जिसमें भारत के कुछ मैच दुबई में होंगे। यह मॉडल सिर्फ एक प्रयोग नहीं है, बल्कि इसे 2027 तक बहु-पक्षीय आयोजनों में लागू करने की योजना है। हालांकि, इस पर आधिकारिक घोषणा अभी बाकी है।
आयोजक ने जोर देकर कहा कि प्रसारण सौदे में कम से कम एक भारत-पाकिस्तान मुकाबला शामिल होना अनिवार्य है। उन्होंने कहा, “प्रसारक ICC के साथ दीर्घकालिक सौदे के लिए अनुमानित बोली तभी लगाता है जब वह सभी देशों के मैचों का अनुमानित मूल्य जोड़ लेता है। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि प्रसारक अन्य मैचों से हुए संभावित नुकसान की भरपाई भारत-पाकिस्तान मुकाबले के विज्ञापन अधिकारों और अन्य वाणिज्यिक स्रोतों से होने वाली कमाई से करता है।”
PCB पर संभावित प्रभाव
यदि पाकिस्तान टूर्नामेंट से हटता है, तो उसे ICC और अन्य 16 सदस्य बोर्डों, साथ ही प्रसारकों से मुकदमों का सामना करना पड़ सकता है। इसका कारण यह है कि पाकिस्तान के हटने से सभी हितधारकों के अनुमानित राजस्व पर असर पड़ेगा।
अधिकारी ने यह भी इशारा किया कि कानूनी जटिलताओं के अलावा, PCB का हाइब्रिड मॉडल अन्य बोर्डों से समर्थन नहीं प्राप्त कर पा रहा है, जिससे PCB को अलग-थलग पड़ने का खतरा है।
विवाद और PCB की चिंताएं
PCB के अध्यक्ष मोशिन नकवी को इस मुद्दे पर चल रहे विवाद को हल करने के लिए कहा गया है। एक अधिकारी ने बताया, “MPA सभी देशों के लिए समान होते हैं। यदि PCB ने ICC के साथ होस्ट एग्रीमेंट में कुछ सुरक्षा प्रावधान नहीं रखे हैं, तो उनके लिए स्थिति जटिल हो सकती है।”
यह समझौता इस तथ्य को स्वीकार करता है कि पाकिस्तान ICC इवेंट्स में भारत में खेलने से इनकार करता है, जबकि BCCI और ICC यह सुनिश्चित करेंगे कि अगले कुछ वर्षों में भारत में आयोजित ICC टूर्नामेंटों के सेमीफाइनल और फाइनल वहीं हों, भले ही पाकिस्तान इन महत्वपूर्ण मैचों के लिए क्वालीफाई कर जाए।
भारत की भागीदारी पर असमंजस
PCB प्रमुख ने इस बात पर निराशा जताई कि ICC इस बात को लगातार नजरअंदाज करता रहा कि क्या भारत पाकिस्तान में चैंपियंस ट्रॉफी खेलने जाएगा। उन्होंने कहा, “जब से बोर्ड ने पाकिस्तान को होस्टिंग अधिकार दिए हैं, तब से इस मुद्दे पर PCB बार-बार अपनी चिंताओं को उठा रहा है।”
अधिकारी ने बताया कि “PCB ने होस्टिंग अधिकारों पर हस्ताक्षर में देरी की थी क्योंकि वे इस मुद्दे पर ICC और BCCI से स्पष्ट जवाब चाहते थे।” इस विवाद ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को मुश्किल स्थिति में डाल दिया है, जहां उसे वित्तीय नुकसान और वैश्विक क्रिकेट समुदाय से अलगाव का खतरा है।

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