नई दिल्ली। Toyota Kirloskar Motor India ने हाइब्रिड कारों पर लगने वाले टैक्स में संशोधन का प्रस्ताव रखा है। कंपनी ने पेट्रोल और डीजल की खपत घटाने पर जोर देते हुए, कार्बन उत्सर्जन में कमी और ‘मेक इन इंडिया’ पहल को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता पर बल दिया है। उनका कहना है कि हाइब्रिड तकनीक राष्ट्रीय लक्ष्यों को हासिल करने में सहायक हो सकती है।
Tax on Hybrid Cars: टोयोटा किर्लोस्कर मोटर (TKM) ने अपनी नई ‘कैमरी हाइब्रिड’ कार को लॉन्च किया है, जिसकी एक्स-शोरूम कीमत 48 लाख रुपये है। यह हाई-परफॉर्मेंस हाइब्रिड इलेक्ट्रिक सेडान न केवल शानदार स्टाइल और सुरक्षा फीचर्स के साथ आती है बल्कि इसका माइलेज 25.49 किमी प्रति लीटर है। इस लॉन्च इवेंट में, कंपनी के भारतीय कारोबार प्रमुख विक्रम गुलाटी ने सरकार से हाइब्रिड वाहनों पर टैक्स में कमी करने की अपील की।
विक्रम गुलाटी का मानना है कि सिर्फ इलेक्ट्रिक गाड़ियों तक ही सीमित न रहते हुए, उन सभी तकनीकों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए जो पर्यावरण के अनुकूल हैं। उन्होंने कहा कि इससे ‘मेक इन इंडिया’ पहल को भी मजबूती मिलेगी। उन्होंने यह भी बताया कि हाइब्रिड गाड़ियां पेट्रोल और डीजल की खपत को कम करने में मददगार साबित होती हैं, और सरकार को इन पर लगने वाले टैक्स में कटौती पर विचार करना चाहिए।
वर्तमान टैक्स दरें
वर्तमान में, पेट्रोल-डीजल वाहनों पर 28% जीएसटी के साथ 1% से 22% तक का अतिरिक्त कर लगता है। इसके विपरीत, पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों पर केवल 5% जीएसटी है, जबकि हाइड्रोजन-आधारित वाहनों पर 12% जीएसटी लगाया जाता है। हालांकि, हाइब्रिड गाड़ियों पर टैक्स पेट्रोल और डीजल वाहनों के बराबर ही है।
‘टैक्स में छूट हर तकनीक को मिलनी चाहिए’
कुछ कंपनियां हाइब्रिड वाहनों पर टैक्स छूट का विरोध कर रही हैं। इस पर गुलाटी ने तर्क दिया कि हाइब्रिड एक महत्वपूर्ण तकनीक है जो ईंधन की खपत को कम करती है। उन्होंने कहा कि टैक्स में छूट को किसी एक विशेष तकनीक तक सीमित न रखकर उन सभी तकनीकों को प्रोत्साहन देना चाहिए जो कार्बन उत्सर्जन कम करने और ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने में योगदान करती हैं।
हाइब्रिड गाड़ियों के फायदे
हाइब्रिड वाहन पेट्रोल-डीजल इंजन के साथ एक इलेक्ट्रिक मोटर से लैस होते हैं। ये गाड़ियां कम गति पर बैटरी से और अधिक गति पर ईंधन इंजन का उपयोग करती हैं, जिससे ईंधन की बचत होती है और प्रदूषण भी घटता है। टोयोटा का मानना है कि भारत जैसे देश, जहां इलेक्ट्रिक गाड़ियों का बुनियादी ढांचा अभी पूरी तरह विकसित नहीं हुआ है, वहां हाइब्रिड वाहन एक व्यवहारिक विकल्प हैं। ये उपभोक्ताओं को धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक गाड़ियों की ओर रुख करने में मदद कर सकती हैं।