आतंक

छत्तीसगढ़ में बम विस्फोट में 8 पुलिसकर्मियों की मौत, आखिर क्या है भारत के माओवादी संघर्ष की कहानी..

बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सोमवार को माओवादी विद्रोहियों द्वारा किए गए बम विस्फोट में कम से कम आठ पुलिसकर्मी और एक चालक की मौत हो गई।
पुलिस बयान के अनुसार, विस्फोट उस समय हुआ जब पुलिसकर्मी एक वाहन में यात्रा कर रहे थे।
यह घटना राज्य में सुरक्षा बलों पर हुए छिटपुट हमलों की ताजा कड़ी है। हाल के महीनों में माओवादियों और सुरक्षा बलों के बीच बार-बार मुठभेड़ों में कई माओवादी मारे गए हैं।
माओवादी संघर्ष का व्यापक संदर्भ
छत्तीसगढ़ और इसके पड़ोसी राज्यों, जैसे झारखंड और ओडिशा, में माओवादी विद्रोहियों द्वारा दशकों से चल रहे संघर्ष का प्रभाव देखा गया है। हालांकि, पिछले वर्षों में उनकी गतिविधियों के क्षेत्र में कमी आई है।
माओवादी विद्रोही चीनी नेता माओ जेडोंग की विचारधारा से प्रेरित हैं और सरकार के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध छेड़ रहे हैं। उनका दावा है कि वे गरीब किसानों और भूमिहीन मजदूरों को उनकी जमीन और खनिज संसाधनों पर अधिक अधिकार दिलाने के लिए लड़ रहे हैं, जिन्हें वर्तमान में बड़ी खनन कंपनियां शोषित कर रही हैं।
माओवादी समस्या: एक परिचय
माओवादी संघर्ष, जिसे अक्सर नक्सलवादी आंदोलन कहा जाता है, भारत के ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में एक लंबा चलने वाला विद्रोह है।
यह आंदोलन छत्तीसगढ़, झारखंड, और ओडिशा जैसे राज्यों में अभी भी सक्रिय है, जहां माओवादी समूहों का प्रभाव बना हुआ है।
उद्गम और विचारधारा
1. उद्गम
o माओवादी विद्रोह की शुरुआत 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी क्षेत्र में हुई।
o यह आंदोलन चीनी नेता माओ जेडोंग के क्रांति सिद्धांतों से प्रेरित था।
o आंदोलन का उद्देश्य भूमि सुधार, आदिवासियों के अधिकार, और आर्थिक असमानता को खत्म करना था।
2. विचारधारा
o माओवादी सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से भारतीय सरकार को उखाड़ फेंकने और एक साम्यवादी, वर्गहीन समाज की स्थापना करना चाहते हैं।
o उनका मानना है कि वर्तमान सरकार पूंजीवादी शोषण का उपकरण है।
संघर्ष का स्वरूप
• माओवादी विद्रोहियों ने दशकों से सरकार और सुरक्षा बलों के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध छेड़ा है।
• संघर्ष में हिंसा, पुलिस स्टेशनों और सरकारी अधिकारियों पर हमले, बम विस्फोट, और अपहरण जैसी घटनाएं शामिल हैं।
• सरकार ने माओवादियों को आतंकवादी संगठन करार दिया है और उन्हें दबाने के लिए हजारों सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया है।
वर्तमान स्थिति
• चरम पर संघर्ष: अपने चरम पर यह विद्रोह भारत की सबसे गंभीर आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में से एक था।
घटता प्रभाव:
o हाल के वर्षों में माओवादियों को कई झटके लगे हैं, जैसे:
 सुरक्षा बलों के तीव्र अभियान
 आंतरिक विभाजन
 जनता का घटता समर्थन
• हालांकि, छत्तीसगढ़, झारखंड, और ओडिशा जैसे राज्यों में उनके प्रभाव वाले कुछ क्षेत्र अब भी बने हुए हैं।
माओवादी संघर्ष भारतीय लोकतंत्र के सामने एक गंभीर चुनौती बनी हुई है, लेकिन मजबूत सुरक्षा रणनीतियों और सामाजिक-आर्थिक सुधारों से इसे नियंत्रित करने के प्रयास जारी हैं।

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