राजनीति

वक्फ संशोधन विधेयक को संसदीय समिति की मंजूरी

नयी दिल्ली। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को लेकर बने संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने सोमवार को इस विधेयक को मंजूरी दे दी। इस बैठक की अध्यक्षता बीजेपी नेता जगदंबिका पाल ने की। हालांकि, यह मंजूरी भारी विवाद और गैर-एनडीए सदस्यों के कड़े विरोध के बीच दी गई।
यह विधेयक वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करने का उद्देश्य रखता है ताकि वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और नियमन में आ रही चुनौतियों को हल किया जा सके। लेकिन इसने सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच तीखी बहस को जन्म दिया है।
विपक्ष का विरोध
टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल पर “नकली कार्यवाही” करने का आरोप लगाया और इसे लोकतंत्र के लिए एक “काला दिन” करार दिया।
उन्होंने कहा, “आज उन्होंने वही किया जो उन्होंने पहले से तय कर रखा था। हमें बोलने की अनुमति नहीं दी गई। किसी भी नियम या प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। हमने शुरुआत में दस्तावेज, प्रस्तुतियां और टिप्पणियां मांगी थीं। वह सब हमें नहीं दिया गया। उन्होंने सीधे खंड-वार चर्चा शुरू कर दी। हमने कहा कि पहले चर्चा होनी चाहिए, लेकिन जगदंबिका पाल ने चर्चा की अनुमति ही नहीं दी। फिर उन्होंने संशोधन प्रस्ताव पेश किया। हमें उसमें भी बोलने का मौका नहीं दिया गया। उन्होंने खुद प्रस्ताव पेश किया, गिनती की और घोषणा कर दी। उनके सारे संशोधन पास हो गए और हमारे सारे संशोधन खारिज कर दिए गए। यह पूरी प्रक्रिया दिखावा थी। यह लोकतंत्र का काला दिन है… जगदंबिका पाल लोकतंत्र के सबसे बड़े विरोधी हैं। उन्होंने लोकतंत्र को बर्बाद कर दिया।”
वक्फ विधेयक: मुख्य संशोधन
विधेयक के मसौदे पर कुल 572 संशोधन प्रस्तावित किए गए थे, जिनमें से 444 संशोधन औपचारिक रूप से विचार के लिए प्रस्तुत किए गए।
जेपीसी द्वारा प्रस्तावित सबसे महत्वपूर्ण बदलावों में से एक ‘वक्फ बाय यूजर’ (उपयोग के आधार पर वक्फ) के प्रावधान को हटाना है। संशोधित विधेयक के तहत, धार्मिक उद्देश्यों के लिए उपयोग में लाई जा रही मौजूदा वक्फ संपत्तियों पर ‘वक्फ बाय यूजर’ के सिद्धांत के आधार पर सवाल नहीं उठाए जा सकते। यह प्रावधान संपत्ति विवादों में लंबे समय से विवाद का कारण रहा है।
जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि एनडीए सदस्यों के संशोधन विधेयक के 44 खंडों में से 14 खंडों में स्वीकार किए गए, जबकि विपक्ष द्वारा प्रस्तुत सभी संशोधनों को मतदान में खारिज कर दिया गया।
बैठक में हंगामा और सांसदों का निलंबन
खंड-वार चर्चा के दौरान हंगामा इतना बढ़ गया कि एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी और टीएमसी के कल्याण बनर्जी सहित 10 विपक्षी सांसदों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया।
यह निलंबन प्रस्ताव बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने पेश किया, जिससे पहले से ही तनावपूर्ण बैठक और अधिक उग्र हो गई।

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