राजनीति

लोकसभा में पीएम मोदी का राहुल गांधी को करारा जवाब, कहा- कुछ लोग खुलेआम शहरी नक्सलियों की भाषा बोल रहे, ज़हर की राजनीति कर रहे..

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तीखा हमला बोलते हुए उन पर शहरी नक्सलियों की भाषा बोलने का आरोप लगाया। प्रधानमंत्री ने राहुल गांधी के “ईएएम द्वारा ट्रंप के उद्घाटन समारोह का निमंत्रण पाने के लिए पैरवी” के आरोपों और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बजट भाषण को “उबाऊ” कहने पर भी तंज कसा।
‘कुछ लोग खुलेआम शहरी नक्सलियों की भाषा बोल रहे हैं’
प्रधानमंत्री मोदी लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के जवाब देते हुए कहा, “आज कुछ लोग खुलेआम शहरी नक्सलियों की भाषा बोल रहे हैं। जो बातें शहरी नक्सली कहते हैं, वही बातें ये लोग कह रहे हैं। ये लोग, जो शहरी नक्सलियों की भाषा बोलते हैं और भारतीय राज्य के खिलाफ युद्ध की घोषणा करते हैं, न तो संविधान को समझ सकते हैं और न ही देश की एकता को।”
उन्होंने कहा, “जो लोग संविधान को अपनी जेब में रखकर घूमते हैं, क्या वे जानते हैं कि उन्होंने मुस्लिम महिलाओं को कितनी कठिनाइयों में रखा? हमने ट्रिपल तलाक कानून लाकर उन्हें अधिकार दिए,” उन्होंने कहा कहा, “हम संविधान की भावना के साथ जीते हैं और ज़हर की राजनीति नहीं करते।” हालांकि प्रधानमंत्री ने किसी का नाम नहीं लिया लेकिन उनका इशारा राहुल गांधी की पिछले महीने की उस टिप्पणी की ओर था, जिसमें उन्होंने कहा था, “अब हम बीजेपी, आरएसएस और भारतीय राज्य से लड़ रहे हैं।”
‘कुछ लोगों के लिए जाति पर बात करना फैशन बन गया है’
प्रधानमंत्री ने सरकार पर ओबीसी की अनदेखी करने के राहुल गांधी के आरोपों का भी जवाब दिया। उन्होंने कहा, “कुछ लोगों के लिए जाति पर बात करना फैशन बन गया है। पिछले 30 वर्षों से ओबीसी सांसद मांग कर रहे थे कि ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया जाए। लेकिन, जो लोग आज जातिवाद में लाभ देखते हैं, उन्होंने तब ओबीसी समुदाय के बारे में नहीं सोचा। हमने ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया। एससी, एसटी और ओबीसी को हर क्षेत्र में अधिक अवसर मिलें, इसके लिए हमने मजबूती से काम किया है।”
प्रधानमंत्री ने इसके बाद गांधी परिवार पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला बोला, जिसमें सोनिया, राहुल और प्रियंका तीन सांसद हैं। उन्होंने कहा, “मैं इस सदन के माध्यम से देशवासियों से एक महत्वपूर्ण सवाल पूछना चाहता हूं कि क्या कभी किसी अनुसूचित जाति (SC) समुदाय से एक ही परिवार के तीन सांसद एक साथ रहे हैं? क्या कभी किसी अनुसूचित जनजाति (ST) समुदाय से एक ही परिवार के तीन सांसद एक साथ रहे हैं…?” उन्होंने विपक्ष के कथनी और करनी में भारी अंतर होने की बात कही।
‘कुछ लोग विदेश नीति पर बात करना ही परिपक्वता समझते हैं’
प्रधानमंत्री ने राहुल गांधी के उस आरोप का जवाब दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि विदेश मंत्री ने डोनाल्ड ट्रंप के उद्घाटन समारोह के लिए निमंत्रण पाने की पैरवी की थी। पीएम मोदी ने कहा,
“कुछ लोग यह सोचते हैं कि विदेश नीति पर बात करना ही परिपक्वता है। उन्हें लगता है कि अगर वे विदेश नीति पर बात नहीं करेंगे, तो वे परिपक्व नहीं माने जाएंगे, भले ही यह देश के हितों के खिलाफ ही क्यों न हो..”
पीएम मोदी ने कहा, “अगर उन्हें वास्तव में विदेश नीति में दिलचस्पी है, तो उन्हें ‘जेएफकेज़ फॉरगॉटन क्राइसेस’ नामक किताब पढ़नी चाहिए, जिसमें बताया गया है कि पंडित नेहरू ने जॉन एफ केनेडी से क्या मुलाकातें कीं और विदेश नीति कैसी थी,” उन्होंने कहा, “यह किताब बताती है कि जब देश कई चुनौतियों से जूझ रहा था, तब विदेश नीति के नाम पर क्या-क्या हो रहा था।”
‘जो झोपड़ियों में फोटो सेशन कराते हैं…’
प्रधानमंत्री मोदी ने राहुल गांधी पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के भाषण को “उबाऊ” कहने को लेकर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “जो लोग गरीबों की झोपड़ियों में जाकर फोटो सेशन कराते हैं, उन्हें संसद में गरीबों के बारे में बात करना उबाऊ लगता है..”
बता दें कि 31 जनवरी को संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा संसद परिसर में चर्चा कर रहे थे। इस दौरान राहुल गांधी को सोनिया गांधी से यह पूछते हुए सुना गया कि “क्या राष्ट्रपति का भाषण उबाऊ था?”
संविधान की बात करने वाले ही मुस्लिम महिलाओं को सम्मान से वंचित रखते थे’
प्रधानमंत्री मोदी ने राहुल गांधी के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर भी अप्रत्यक्ष रूप से हमला करते हुए उनके “मिस्टर क्लीन” की छवि और भारत को 21वीं सदी में ले जाने के दावे पर तंज कसा। विपक्षी नेताओं पर कटाक्ष करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “जो संविधान को जेब में रखकर चलते हैं, उन्होंने मुस्लिम महिलाओं को बिना गरिमा के जीने पर मजबूर किया। हमने ट्रिपल तलाक खत्म किया।”
2017 में ट्रिपल तलाक की प्रथा को असंवैधानिक घोषित किया गया था। 2019 में ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम’ के तहत ट्रिपल तलाक को गैरकानूनी बना दिया गया। इस कानून ने इस्लामिक तलाक की इस प्रथा को अपराध घोषित कर दिया, जिसमें पति एक ही बार में तीन बार ‘तलाक’ बोलकर शादी को समाप्त कर सकता था।

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