कूटनीति

H-1B, L-1 वीज़ा धारकों पर मंडराया संकट, ट्रंप प्रशासन खत्म कर सकता है वर्क परमिट ऑटो-रिन्युअल, भारतीयों पर हो सकता है बड़ा असर

वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा वीज़ा नियमों में सख्ती लाने की योजना के चलते H-1B और L-1 वीज़ा धारकों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। रिपब्लिकन सीनेटर रिक स्कॉट और जॉन कैनेडी ने एक प्रस्ताव पेश किया है, जिसका उद्देश्य बाइडेन प्रशासन द्वारा लागू किए गए वर्क परमिट ऑटो-रिन्युअल नियम को समाप्त करना है।
बाइडेन सरकार ने 13 जनवरी को एक नियम को अंतिम रूप दिया था, जिसके तहत वर्क परमिट के ऑटोमेटिक नवीनीकरण (Renewal) की अवधि 180 दिनों से बढ़ाकर 540 दिन कर दी गई थी। यह नीति विशेष रूप से भारतीय पेशेवरों सहित H-1B और L-1 वीज़ा धारकों के लिए फायदेमंद रही, क्योंकि इससे उनके रोजगार की स्थिति को स्थिरता मिली थी।
ट्रंप प्रशासन के फैसले से भारतीय पेशेवरों पर असर
यदि यह प्रस्ताव पारित होता है और वर्क परमिट ऑटो-रिन्युअल समाप्त कर दिया जाता है, तो इससे हजारों भारतीय आईटी और इंजीनियरिंग प्रोफेशनल्स के रोजगार पर असर पड़ सकता है। अमेरिका में काम करने वाले H-1B और L-1 वीज़ा धारकों को बार-बार नवीनीकरण के लिए आवेदन करना होगा, जिससे उनके रोजगार में बाधाएं आ सकती हैं।
रिपब्लिकन सीनेटर जॉन कैनेडी ने इस नीति को “खतरनाक” बताते हुए कहा कि यह ट्रंप प्रशासन की इमिग्रेशन पॉलिसी को कमजोर कर सकती है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि इस नियम को बनाए रखने से अवैध रूप से काम कर रहे लोगों की निगरानी कठिन हो सकती है।
किन वीज़ा धारकों पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर?
इस विवाद का सबसे अधिक प्रभाव H-1B और L-1 वीज़ा धारकों पर पड़ेगा। ये वीज़ा आमतौर पर तकनीक, इंजीनियरिंग और वित्तीय क्षेत्रों में काम करने वाले विदेशी पेशेवरों को दिए जाते हैं।
H-1B, H-4, L-1 और L-2 वीज़ा से जुड़ी अहम जानकारी:
• H-1B वीज़ा: तकनीक और वित्त जैसे क्षेत्रों में विशेष योग्यताओं वाले विदेशी पेशेवरों के लिए।
• H-4 वीज़ा: H-1B धारकों के आश्रित (पति/पत्नी और बच्चे), जिनमें से कुछ को काम करने की अनुमति मिल सकती है।
• L-1 वीज़ा: बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपने कर्मचारियों को अमेरिकी शाखाओं में भेजने की अनुमति देता है। L-1A प्रबंधकों और अधिकारियों के लिए, जबकि L-1B विशेष ज्ञान वाले कर्मचारियों के लिए होता है।
• L-2 वीज़ा: L-1 वीज़ा धारकों के परिवार के सदस्यों को अमेरिका में रहने, काम करने और पढ़ाई करने की अनुमति देता है।
भारतीयों पर सबसे ज्यादा असर क्यों?
साल 2023 में जारी रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका द्वारा जारी 76,671 L-1 वीज़ा और 83,277 L-2 वीज़ा में भारतीयों की बड़ी हिस्सेदारी रही। H-1B वीज़ा का 72% हिस्सा भारतीय पेशेवरों को मिला। इसलिए, यदि वर्क परमिट ऑटो-रिन्युअल नियम को समाप्त किया जाता है, तो सबसे अधिक नुकसान भारतीय वीज़ा धारकों को झेलना पड़ेगा।
अमेरिका में इमिग्रेशन सुधार को लेकर बढ़ा विवाद
इस प्रस्ताव को लेकर अमेरिका में आप्रवासन नीतियों को लेकर बहस तेज हो गई है। ट्रंप प्रशासन पहले भी H-1B वीज़ा नीतियों को सख्त करने के पक्ष में रहा है और यदि वे फिर से सत्ता में आते हैं, तो वीज़ा धारकों के लिए नियम और कड़े हो सकते हैं।
अभी इस प्रस्ताव पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है, लेकिन भारतीय पेशेवरों और उनके परिवारों के लिए यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है।

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