विचित्र

पृथ्वी का छठा महासागर बनने की प्रक्रिया, लेकिन इससे अफ्रीका दो भागों में बंट जाएगा

नयी दिल्ली। पृथ्वी को भविष्य में एक नया छठा महासागर मिल सकता है, लेकिन यह भूगोल को पूरी तरह बदल देगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि अफ्रीका में धीरे-धीरे हो रही महाद्वीपीय दरार अंततः पृथ्वी के छठे महासागर का निर्माण करेगी, जिससे वैश्विक भूगोल में एक बड़ा बदलाव आएगा। यह प्रक्रिया उसी प्रकार की है जैसी लगभग 230 मिलियन वर्ष पहले पैंजिया (Pangea) के टूटने के समय हुई थी।
पूर्वी अफ्रीकी दरार प्रणाली (EARS) और टेक्टोनिक गतिविधियां
2005 में इथियोपिया में एक विशाल 35 मील लंबी दरार उभरी थी, जो पूर्वी अफ्रीकी दरार प्रणाली (EARS) का हिस्सा है। यह दरार दर्शाती है कि अफ्रीकी महाद्वीप धीरे-धीरे दो भागों में विभाजित हो रहा है। सोमाली प्लेट (Somali Plate) धीरे-धीरे न्युबियन प्लेट (Nubian Plate) से अलग हो रही है, ठीक वैसे ही जैसे कभी दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका अलग हुए थे।
भू-वैज्ञानिकों का क्या कहना है?
“अंततः अदन की खाड़ी (Gulf of Aden) और लाल सागर (Red Sea) अफ़ार क्षेत्र (Afar region) में प्रवेश कर जाएंगे, जिससे एक नया महासागर बनेगा और पूर्वी अफ्रीका एक अलग भूभाग बन जाएगा,” समुद्री भू-भौतिकीविद् केन मैकडोनाल्ड (Ken Macdonald) ने कहा।
इस बदलाव के गहरे प्रभाव होंगे। वर्तमान में भू-आबद्ध (landlocked) देशों जैसे इथियोपिया और युगांडा को समुद्री तट मिल सकता है, जिससे व्यापार और आर्थिक अवसरों में वृद्धि हो सकती है। हालांकि, इस बदलाव से जलवायु, पारिस्थितिकी तंत्र और मानव बस्तियों पर असर पड़ सकता है।
महाद्वीपीय विभाजन का वैज्ञानिक प्रमाण
भूगर्भीय प्रमाण बताते हैं कि यह परिवर्तन लगातार जारी है। 2005 में इथियोपिया में एक बड़ा भूकंपीय झटका लगा था, जिससे एक प्रमुख दरार बनी। इसके बाद 2018 में केन्या में भी ऐसी ही दरार उभरी थी। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि महाद्वीपीय विभाजन की यह प्रक्रिया अगले 1 से 5 मिलियन वर्षों में पूरी हो सकती है, जो पहले की अपेक्षा कहीं अधिक तेज़ है।
अफ्रीका का बदलता परिदृश्य
पूर्वी अफ्रीकी दरार (East African Rift) केन्या, तंजानिया और इथियोपिया से होकर गुजरने वाली एक महत्वपूर्ण भ्रंश रेखा (fault line) है, जहां अफ्रीकी प्लेट (African Plate) पिछले 25 मिलियन वर्षों से विभाजित हो रही है। इस प्रक्रिया के कारण पश्चिम में न्युबियन प्लेट और पूर्व में सोमाली प्लेट बनी है। जैसे-जैसे ये प्लेटें और दूर होती जाएंगी, समुद्र का पानी इस दरार को भर देगा और एक नया महासागर बनेगा।
भूवैज्ञानिक डेविड अडेड़े (David Adede) ने क्षेत्र की विस्तृत विवर्तनिक (tectonic) और ज्वालामुखीय (volcanic) गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह प्रक्रिया सतह पर भले ही धीमी दिखती हो, लेकिन अंदर ही अंदर महाद्वीप को आकार दे रही है। शोधकर्ता स्टीफन हिक्स (Stephen Hicks) ने केन्या की 2018 की दरार को भारी वर्षा से हुई मिट्टी के कटाव (soil erosion) का परिणाम बताया, जबकि लूसिया पेरेज़ डियाज़ (Lucía Pérez Díaz) ने इसे विवर्तनिक गतिविधियों और भ्रंश रेखाओं से जोड़ा।
भविष्य में अफ्रीका की भौगोलिक संरचना
नेशनल ज्योग्राफिक (National Geographic) के अनुसार, अफ्रीका की भूगोलिक संरचना पूरी तरह बदल सकती है। सोमाली प्लेट पूर्व की ओर खिसक रही है, जिससे एक नया द्वीप बन सकता है जो आकार में मेडागास्कर (Madagascar) जितना बड़ा होगा। हालांकि, यह परिवर्तन लाखों वर्षों में होगा, लेकिन पूर्वी अफ्रीकी दरार वैज्ञानिकों के लिए पृथ्वी के भूगर्भीय विकास का एक महत्वपूर्ण अध्ययन क्षेत्र बना रहेगा।
पृथ्वी के अंदर छिपा महासागर
पूर्वी अफ्रीका में बन रहे नए महासागर के अलावा, वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की गहराई में एक विशाल जलाशय (water reservoir) होने की संभावना भी जताई है। नेचर जियोसाइंस (Nature Geoscience) में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, पृथ्वी के ऊपरी और निचले मैंटल (mantle) के बीच स्थित संक्रमण क्षेत्र (transition zone) में पानी से भरपूर खनिज मौजूद हैं। यह पानी तरल रूप में नहीं है, बल्कि खनिजों में बंद है, जिससे मैंटल क्षेत्र अत्यधिक जल-समृद्ध हो जाता है।
ये खोजें पृथ्वी की निरंतर बदलती भूगर्भीय प्रक्रियाओं को उजागर करती हैं, चाहे वह नए महासागरों का जन्म हो या पृथ्वी की गहराइयों में छिपे जलाशय।

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