नयी दिल्ली। तमिलनाडु में जाति प्रमाण पत्रों को लेकर एक “बड़े रैकेट” की आशंका जताते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू कॉन्डा रेड्डी समुदाय से संबंधित जारी किए गए प्रमाण पत्रों की सत्यता की व्यापक जांच करने का आदेश दिया है।
25 फरवरी 2025 को दिए गए अपने अंतरिम आदेश में न्यायमूर्ति जे. बी. पारडीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने कहा, “जाति प्रमाण पत्र तमिलनाडु राज्य में एक बहुत बड़ी समस्या प्रतीत होती है। ऐसा लगता है कि हजारों प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं, जिनमें लोगों को अनुसूचित जनजाति श्रेणी के अंतर्गत आने वाले हिंदू कॉन्डा रेड्डी समुदाय का सदस्य बताया गया है। वर्तमान में हम कोई आरोप नहीं लगा रहे हैं, लेकिन प्रथम दृष्टया यह एक बड़ा रैकेट प्रतीत होता है। यह अत्यंत गंभीर और खतरनाक मामला है।”
न्यायमूर्ति की पीठ ने आगे कहा, “हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि ये प्रमाण पत्र असली हैं या नहीं। हम यह भी जानना चाहते हैं कि इतने लोगों को यह प्रमाण पत्र किस प्रक्रिया से प्राप्त हुए हैं।”
यह मामला एक अपील से जुड़ा है, जो 22 अप्रैल 2019 को मद्रास हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ दायर की गई थी। उस आदेश में सेलम जिले के मेट्टूर डैम के राजस्व प्रभागीय अधिकारी (RDO) को ए. प्रदीपा के बेटे को जाति प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया गया था। साथ ही, अदालत ने यह भी आदेश दिया था कि प्रदीपा, उनके भाई-बहन, करीबी रिश्तेदारों और बेटे के जाति प्रमाण पत्रों को राज्य स्तरीय जांच समिति (State Level Scrutiny Committee) को सत्यापन के लिए भेजा जाए।
प्रदीपा ने दावा किया था कि वे हिंदू कॉन्डा रेड्डी समुदाय, जो कि अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) में शामिल है, से संबंधित हैं। उन्होंने अपने बेटे के लिए जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था, लेकिन RDO की जांच के बाद उनका आवेदन खारिज कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट का रुख किया।
हाईकोर्ट ने यह भी माना कि जब तक प्रदीपा और उनके रिश्तेदारों के प्रमाण पत्र रद्द नहीं किए गए हैं, तब तक उनके बेटे को जाति प्रमाण पत्र देने में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। हालांकि, यह निर्देश दिया गया कि प्रमाण पत्र जारी करने के बाद सभी संबंधित प्रमाण पत्रों की राज्य स्तरीय समिति द्वारा सत्यता की जांच की जाए।
इस आदेश को चुनौती देते हुए जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा, तो 22 नवंबर 2019 को शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी। लेकिन अब, 25 फरवरी 2025 के अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने उस रोक में संशोधन करते हुए समिति को जांच शुरू करने की अनुमति दे दी है।
कोर्ट ने कहा, “हमें इस बात की जानकारी है कि राज्य ने एक अंतरिम आदेश प्राप्त किया है, जिससे हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगी हुई है। लेकिन हम इस आदेश को इस हद तक संशोधित करते हैं कि राज्य स्तरीय जांच समिति इस मामले में तत्काल गहन जांच शुरू करे और अपनी रिपोर्ट हमारे समक्ष पेश करे, ताकि हम आगे इस मामले में कार्रवाई कर सकें।”
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि “जैसे ही रिपोर्ट हमारे पास आती है, हम प्रत्येक याचिका की स्वतंत्र रूप से समीक्षा करेंगे।”