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गहलोत-पायलट की लड़ाई, एसओजी से सीबीआई तक आई

भाजपा की ऑडियो टेप मामले में सीबीआई जांच की मांग

जयपुर। राजस्थान का सियासी संग्राम लगातार जारी है। अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की लड़ाई अब एसओजी से सीबीआई तक आ पहुंची है। भाजपा ने एक के बाद एक ताबड़तोड़ सवाल उठाते हुए कहा है कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने अप्रत्यक्ष इमरजेंसी लगा रखी है।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने शनिवार सुबह प्रेसवार्ता आयोजित कर कहा कि जब राजस्थान में सरकार बनी, उस समय गहलोत और पायलट खेमे में सड़कों पर लड़ाइयां चल रही थी।

गहलोत के मुख्यमंत्री बनने के बाद से पूरे समय में कोल्ड वॉर की स्थिति बनी रही। गहलोत ने खुद कहा कि उनके और पायलट के बीच में 18 महीनों तक बातचीत नहीं हुई। क्या इन बातों को भाजपा कंट्रोल कर रही थी?

हम कुछ महत्वपूर्ण सवाल कांग्रेस आलाकमान और अशोक गहलोत से कर रहे हैं। क्या राजस्थान में फोन टेपिंग की गई? क्या फोन टेपिंग एक संवेदनशील और कानूनी विषय नहीं है? यदि फोन टेपिंग की गई, तो क्या स्टैंड्र्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर को फॉलो किया गया?

क्या राजस्थान सरकार ने खुद को विपरीत परिस्थितियों में पाकर गैर संवैधानिक उपायों का प्रयोग किया? क्या राजस्थान में राजनीति से सरोकार रखने वाले हर दल के लोगों का फोन टेप किया जा रहा है? क्या राजस्थान मे अप्रत्यक्ष रूप से इमरजेंसी नहीं लगाई गई है? क्या सरकार ने फोन टेपिंग के लिए कानूनी प्रावधानों की पालना की?

इसलिए हम मांग करते हैं कि राजस्थान सरकार तुरंत इसपर प्रतिक्रिया दे, क्योंकि यह संवैधानिक प्रक्रिया है। भाजपा इस मामले की सीबीआई से भी जांच की मांग करती है।

लॉ मेकर बने लॉ ब्रेकर

पात्रा ने कहा कि राजस्थान में कल एक दिन में 900 कोरोना पॉजिटिव केस आए हैं। सरकार ने फेयर माउंट होटल में अपने विधायकों को रखा हुआ है। होटल में कहीं भी सोश्यल डिस्टेंसिंग नहीं दिख रही है। वहां ठहरे विधायक बिना मास्क के घूम रहे हैं, एक साथ खाना खा रहे हैं। इससे जनता में क्या मैसेज जा रहा है। यहां लॉ मेकर ही लॉ ब्रेकर बन गए हैं। ऐसे में जनता क्यों कोविड गाइडलाइन की पालना करेगी।

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