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अधिकारी बनेंगे स्कूल-हॉस्टल के गार्जिंयन

जयपुर। जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग ने अखिल भारतीय और राज्य सेवा के अधिकारियों को विभागीय विद्यालयों और छात्रावासों का गार्जिंयन बनाने की नई पहल की है। इससे शिक्षकों और विद्यार्थियों में नए उत्साह और प्रेरणा का संचार होगा, वहीं अधिकारियों को नवाचार और सृजनशीलता दिखाने का मौका मिलेगा।

जनजाति क्षेत्रीय विकास राज्य मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया ने बताया कि प्रदेश के अनुसूचित जनजाति समुदाय विशेषकर जनजाति उपयोजना(टीएसपी) क्षेत्र में रह रहे लोगों का शिक्षा, रोजगार एवं व्यवसाय में प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए शैक्षणिक एवं आवासीय विद्यालयों के माध्यम से प्रयास किए जा रहे हैं।

जिला प्रशासन, पुलिस एवं अन्य अधिकारियों की ओर से इन विद्यालयों और छात्रावासों का निरीक्षण किया जाता है। इस दौरान शिक्षकों एवं विद्यार्थियों से चर्चा कर उनकी उन्नति के लिए विभिन्न बहुमूल्य सुझाव दिए जाते हैं। इस अनौपचारिक भ्रमण एवं चर्चा को औपचारिक एवं संस्थागत स्वरूप प्रदान कर ज्यादा कारगर बनाने के लिए नई पहल की गई है।

उन्होंने बताया कि सभी जिला कलक्टर्स को अखिल भारतीय सेवा एवं राज्य सेवा के अधिकारियों तथा अन्य जिला स्तरीय अधिकारियों को स्कूल एवं हॉस्टल गार्जियन मनोनीत करने के निर्देश दिये गए हैं, ताकि इन संस्थाओं को जिला प्रशासन का ज्यादा संबल, सहयोग एवं मार्गदर्शन मिल सके।

हर माह करेंगे दौरा

विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश्वर सिंह ने गार्जियन के रूप में मनोनीत अधिकारियों से अपेक्षित कार्यवाही को रेखांकित करते हुए बताया कि यह अधिकारी हर माह इन संस्थाओं का दौरा करेंगे। उनसे चर्चा कर छात्रों के शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं खेलकूद संबंधी विकास के लिए परामर्श देंगे। विद्यार्थियों को कोर्स एवं कैरियर के संबंध में मार्गदर्शन प्रदान करेंगे तथा इस संबंध में विशेषज्ञों को बुलाकर चर्चा कराएंगे। कैम्पस के विकास एवं सौन्दर्यीकरण के लिए महत्वपूर्ण सुझाव देंगे। वहाँ आयोजित विभिन्न उत्सव, समारोह एवं कार्यक्रमों में भाग लेकर उत्साहवद्र्धन करेंगे।

442 संस्थाओं में करीब 37 हजार बालक-बालिकाएं

उल्लेखनीय है कि जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग की ओर से प्रदेशभर में 372 आश्रम छात्रावास, 21 एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल, 21 आवासीय स्कूल, 2 पब्लिक मॉडल स्कूल, 13 खेल छात्रावास, 7 कॉलेज छात्रावास एवं 6 बालिका बहुउद्देशीय छात्रावास सहित कुल 442 संस्थाएं संचालित की जा रही है। इनमें जनजाति समुदाय के करीब 37 हजार बालक-बालिकाएँअध्ययनरत एवं आवासरत हैं।

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