राजधानी में कार्रवाई नहीं तो प्रदेशभर में कैसा होगा वनों का हाल
जयपुर। पूरे देश में हर दो वर्षों में वनों की स्थिति की जानकारी के लिए सर्वे कराया जाता है। इस सर्वे में पिछले दो बार से राजस्थान में वन क्षेत्र में बढ़ोतरी दर्शाई गई है, लेकिन यह बढ़ोतरी हकीकत में हुई है, या फिर कागजी खानापूर्ति की गई है। यह आरोप हम राजधानी में अभ्यारण्य क्षेत्र में सैंकड़ों की संख्या में पेड़ों के कटान और इस मामले में वन अधिकारियों के मौन को देखकर लगा रहे हैं। जब राजधानी में खुलेआम अभ्यारण्य क्षेत्र में पेड़ कट गए और वन भूमि पर अतिक्रमण हो गया, तो सोचा जा सकता है कि पूरे प्रदेश में वनों का क्या हाल होगा?
राजधानी के नाहरगढ़ अभ्यारण्य में नाहरगढ़ फोर्ट के बाहर करीब चार से पांच बीघा क्षेत्र में पुरातत्व विभाग ने अवैध रूप से अतिक्रमण किया और वहां जंगली वनस्पती काट कर जमीन की लेवलिंग कर दी गई और वन विभाग के अधिकारी कुंभकर्णी नींद सोते रहे।
वन विभाग के सूत्रों का कहना है कि पार्किंग की जमीन पर अडूसे, जूली फ्लोरा और अन्य जंगली वनस्पतियों के सैंकड़ों पेड़ काटे गए हैं और वन अधिकारियों ने मौन साध रखा है। आज तक अधिकारियों की ओर से पेड़ काटने और कटवाने वालों के खिलाफ वन अधिनियम के तहत एफआईआर तक नहीं कराई गई है, कब्जा हटाने की बात तो दूर है।
जानकारी में आया है कि अभ्यारण्य से पेड़ों की अवैध कटाई के लिए पुरातत्व विभाग, विभाग की कार्यकारी एजेंसी आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण (एडमा) और विभाग के पार्किंग ठेकेदार जिम्मेदार हैं। नाहरगढ़ अभ्यारण्य क्षेत्र में गैर वानिकी गतिविधियों की शिकायत के बाद वन विभाग ने इन गतिविधियों की जांच कराई थी।
जांच अधिकारी ने जुलाई में अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी। रिपोर्ट में इस पूरे क्षेत्र को लेकर बेहद गंभीर आरोप लगाए गए हैं कि यहां गैर वानिकी गतिविधियों के साथ-साथ वनस्पतियों का अवैध कटान और वनभूमि पर अतिक्रमण हो रहे हैं।
अब सवाल यह उठता है कि वन विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी इस रिपोर्ट को पिछले चार महीनों से क्यों दबाए बैठे हैं? चार महीनों तक उन्होंने इन अवैध गतिविधियों को रुकवाने के लिए कार्रवाई क्यों नहीं की? जैसा कि रिपोर्ट में उल्लेख है यदि गैर वानिकी गतिविधियां कर रहे प्रभावशाली लोगों का क्षेत्रीय अधिकारियों पर दबाव था तो उन्होंने प्रस्ताव बनाकर वन विभाग के उच्चाधिकारियों को इससे अभी तक अवगत क्यों नहीं कराया? क्षेत्रीय अधिकारियों ने पेड़ों के अवैध कटान और वन भूमि पर अतिक्रमण के खिलाफ एफआईआर दर्ज क्यों नहीं कराई? क्या अब वन अधिकारी पेड़ काटने और अतिक्रमण करने के आरोपी पार्किंग ठेकेदारों और एडमा के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएंगे या इस मामले को फिर से दबा देंगे?
वन क्षेत्र में गैर वानिकी गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर वन विभाग के अधिकारियों से जानकारी चाही गई, लेकिन वन अधिकारी इस मामले में बोलने से बच रहे हैं। जिम्मेदार अधिकारी भी सवालों से भागने में लगे हैं। ऐसे में सोचा जा सकता है कि वन विभाग अभ्यारण्य में गैर वानिकी गतिविधियां रुकवाने में कैसे कामयाब हो पाएगा। कैसे वन विभाग पेड़ काटने वालों और अतिक्रमण कराने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेगा।