जयपुर

बैंसला आंदोलन की राह छोड़ वार्ता के लिए आगे आएं

जयपुर। युवा एवं खेल मामलात राज्यमंत्री अशोक चांदना ने कहा है कि अति पिछड़ा वर्गं के शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिंक विकास के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पिछली दो सरकारों में कई महत्वपूर्णं कदम उठाए। वर्तंमान कार्यंकाल में भी लगातार ऐसे फैसले लिए हैं, जिनसे ये वर्ग समाज की अग्रणी पंक्ति मेें खड़ा हो सके।

राज्य सरकार ने गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति की ओर से रखी गई मांगों पर पूरी तत्परता से विचार कर मानने योग्य सभी मांगों को आगे बढ़कर मान लिया है। राज्य सरकार के स्तर पर कानूनी रूप से संभव कोई मांग शेष है तो कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला एवं संघर्ष समिति के सदस्य प्रदेश को आंदोलन से पैदा होने वाली कठिनाई में नहीं डालकर वार्ता करें। लोकतंत्र में बातचीत से ही किसी भी समस्या का हल संभव है।

चांदना ने कहा कि अति पिछड़ा वर्ग के उत्थान के लिए पूरी संवेदनशील सोच रखते हुए गुर्जर, राईका, बंजारा, गाड़िया लुहार एवं गडरिया के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान, 10 आवासीय विद्यालयों का निर्माण, आरक्षण के दौरान दर्ज मुकदमों का निस्तारण, मृतकों के परिवारजनों को आर्थिक सहायता, देवनारायण योजना में विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति, सरकारी भर्तियों में नियुक्ति जैसे बड़े निर्णय लिए हैं।

वर्तमान सरकार के कार्यकाल में अति पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को 2491 नियुक्तियां दी जा चुकी हैं और प्रक्रियाधीन भर्तियों में 1356 पद इस वर्ग के लिए आरक्षित हैं। सुप्रीम कोर्ट में प्रकरण विचाराधीन होने के बावजूद भी एमबीसी वर्ग के 1252 अभ्यर्थियों को नियमित वेतन श्रृंखला दिए जाने का निर्णय लिया गया है। इन निर्णयों से अति पिछड़ा वर्ग की तरक्की के रास्ते खुले हैं।

चांदना ने कहा कि अति पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण से सम्बंधित प्रावधान को 9 वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए पूर्व में भारत सरकार को 22 फरवरी 2019 एवं 21 अक्टूबर 2020 को पत्र लिखा गया है। अब तीसरी बार फिर भारत सरकार को पत्र लिखा जा रहा है। यह निर्णय केंद्र सरकार के स्तर से होना है।

आरक्षण संघर्ष समिति एवं समाज के लोग इसके लिए केंद्र सरकार से संवाद भी करे। कैलाश गुर्जर, मानसिंह गुर्जर एवं बद्री गुर्जर के परिवार जनों को 5-5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता तथा परिवार के एक-एक सदस्य को नगर परिषद/नगर निगम में नौकरी दिए जाने का निर्णय भी ले लिया गया है।

राज्य सरकार ने कानूनी रूप से संभव सभी मांगे मान ली हैं। इसके बावजूद आंदोलन जारी रखना उचित नहीं है। आंदोलन से आम आदमी को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसलिए कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला, संघर्ष समिति तथा समाज के लोग आंदोलन का रास्ता छोड़कर वार्ता के लिए आगे आएं।

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