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जर्जर हो रही शहर की विरासतें, जिम्मेदार मना रहे स्थापना दिवस

जयपुर स्थापना दिवस पर विशेष

देखरेख के अभाव में धराशायी हो रहे जलेब चौक के बरामदे, लॉकडाउन में गोविंददेव मंदिर की ओर का बरामदा गिरा

धरम सैनी
जयपुर। शहर की स्थापना के समय सिटी पैलेस के बाहर बना जलेब चौक जर्जर होता जा रहा है। चौक का एक बारामदा चार वर्ष पूर्व बारिश में धराशायी हो गया था। काफी हल्ला मचा और कुछ ही समय में यह मामला ठंड़े बस्ते में चला गया। लॉकडाउन के दौरान अप्रेल में गोविंद देव मंदिर की ओर का बरामदा भी धराशायी हो गया, लेकिन जिम्मेदारों को भनक भी नहीं लगी।

धराशायी बरामदे के पास रहने वाले लोगों का कहना है कि अप्रेल में लॉकडाउन के दौरान गोविंद देव मंदिर जाने वाले गेट के बांई तरफ का बरामदा रात में अचानक भरभराकर गिर गया। बरामदे के गिरने की सूचना आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण (एडमा) के अधिकारियों को पहुंचा दी गई थी। कुछ समय बाद यहां फैला हुआ मलबा हटा दिया गया, इसके अलावा यहां कोई कार्रवाई नहीं की गई।

जयपुर का स्थापना दिवस बुधवार को धूमधाम से मनाया गया। आजादी के बाद जयपुर रियासत की संपत्तियां सरकार को उपयोग के लिए दे दी गई थी, लेकिन सरकार इन विरासती संपत्तियों की देखरेख भी नहीं कर पा रही है। सरकार हो या शहर की सरकार कार्यक्रम आयोजित कर जयपुर स्थापना दिवस मना लेती है, लेकिन इनका ध्यान शहर की जर्जर हो रही विरासत की ओर नहीं जा रहा।

जयपुर के परकोटा शहर को वर्ल्ड हैरिटेज सिटी घोशित किया गया था। सरकार ने विरासत को ध्यान में रखते हुए नगर निगम हैरिटेज की स्थापना की, लेकिन नगर निगम शहर की विरासत के प्रति उदासीन बना हुआ है। यह वह स्थान है, जहां वर्ष भर लाखों पर्यटक पहुंचते हैं और जर्जर हो रही विरासतों की छवि अपने कैमरों में कैद कर जयपुर की गलत छवि लेकर जा रहे हैं।

15 वर्ष पूर्व हुआ था जीर्णोद्धार

वर्ष 2005 में पुरातत्व विभाग की एजेंसी एडमा ने निगम से जलेब चौक लेकर पूरे चौक का जीर्णोद्धार कराया था। यहां बने कमरों से अतिक्रमण हटाया गया। कमरों और बरामदों की मरम्मत की गई। अन्य इमारतों और मंदिरों का भी जीर्णोद्धार किया गया। इस कार्य में करीब 2 करोड़ रुपए की लागत आई। जीर्णोद्धार के बाद एडमा ने निगम को वापस इस संपत्ति को हैंडओवर करने के लिए पत्र लिखा, लेकिन आज तक निगम ने इसका पजेशन नहीं लिया है। एडमा की ओर से कई बार निगम को रिमाइंडर भी भेजे जा चुके हैं।

इसलिए हो रहा जर्जर

जानकारी के अनुसार जलेब चौक के मालिकाना हक को लेकर नगर निगम और सवाई जय सिंह द्वितीय म्यूजियम ट्रस्ट के मध्य छह से अधिक वाद न्यायालयों में लंबित पड़े हुए हैं। इसी के चलते न तो म्यूजियम ट्रस्ट और न ही सरकार की ओर से जलेब चौक की सुध ली जा रही है। चौक के बरामदों की नींव में चूहों ने पोल कर दी है, ऐसे में भविष्य में यहां और भी बरामदे धराशायी हो सकते हैं। पूर्व में गिरे बरामदे की चपेट में आकर कई पर्यटकों के वाहन क्षतिग्रस्त हो गए थे। दूसरा बरामदा लॉकडाउन के दौरान गिरा, जिससे कोई हादसा नहीं हो पाया, क्योंकि आम दिनों में इस बरामदे के नीचे बड़ी संख्या में खानाबदोश लोगों और भिखारियों का डेरा रहता है। मंदिर में आने वाले दर्शनार्थी भी यहां अपने वाहन पार्क करते हैं।

कमरों पर हो रहे कब्जे

लावारिस संपत्ति जान कर जलेब चौक के कमरों पर कब्जे हो रहे हैं। कुछ लोगों ने कमरों के ताले तोड़कर इनमें अपनी दुकानें चला ली है। वहीं पुरातत्व विभाग के कुछ ठेकेदारों ने कमरों के ताले तोड़ कर उनमें अपने मजदूरों को फ्री में ठहरा रखा है, वहीं चौक में चूना बनाने की मशीनें और माल गोदाम बना रखा है, जिससे पूरे चौक में हमेशा गंदगी का आलम रहता है।

गायब हो गया मलबा

लॉकडाउन के दौरान गिरे बरामदे का मलबा गायब हो चुका है। पुरातत्व नियमों के अनुसार मलबे को भी संभाल कर रखा जाना चाहिए और उसके पुनर्निमाण में हो सके तो उसी निर्माण सामग्री का उपयोग होना चाहिए। यहां गिरे बरामदे की एकरूपता बनाए रखने के लिए गिरे पिलरों का पुन: उपयोग होना जरूरी था, जो अब गायब है। निगम के हवामहल जोन के उपायुक्त सुरेंद्र कुमार यादव का कहना है कि बरामदे के गिरने की घटना उनकी जानकारी में नहीं है, मलबा या तो उनके सेनेटरी स्टाफ ने हटवा दिया होगा, या फिर एडमा ने हटवा दिया होगा। जबकि एडमा के सहायक अभियंता रवि गुप्ता का कहना है कि उनके पास भी बरामदे के गिरने की सूचना नहीं है। हमने मलबा नहीं हटवाया है।

जलेब चौक लेने की कार्रवाई करेंगे

नगर निगम हैरिटेज की महापौर मुनेश गुर्जर का कहना है कि जलेब चौक में बरामदा गिरने और निगम की ओर से चौक का पजेशन नहीं लिए जाने की मुझे जानकारी नहीं है। इस संबंध में में अधिकारियों से जानकारी जुटाऊंगी और जलेब चौक को निगम के पजेशन में लेने की कार्रवाई की जाएगी।

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