किसान आंदोलन अब भी जारी है और देश की राजधानी नई दिल्ली में प्रवेश की सीमाओं पर तीव्र सर्दी में भी जमे हुए हैं। वे तीनों नये कृषि कानूनों को रद्द किये जाने की मांग पर अड़े हुए हैं लेकिन सरकार अब भी इन कानूनों में संशोधनों की बात कर रही है किंतु इन कानूनों को रद्द करने का उसका कोई इरादा नहीं है। यही वजह है कि सरकार ने अपनी ओर से किसानों से कहा है कि वह वार्ता को तैयार है और इस वार्ता की तारीख किसान नेता ही उसे तय करके बता दें।
दिल्ली सीमाओं पर जमे किसानों की मांग पूरे देश के किसानों की आवाज नहीं
सरकार का मानना है कि दिल्ली की सीमाओं पर जमे किसानों की मांग पूरे देश के किसानों की आवाज नहीं है। देश के कई हिस्सों के किसान इन कानूनों के समर्थन में हैं। केंद्र सरकार में तैनात एक अधिकारी के अनुसार सरकार चाहती है कि जब नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करने वाले किसान वार्ता के ले आएं तो उनकी बात कानूनों के समर्थन में खड़े किसानों से कराई जाए। इसके अलावा जिन मुद्दों को लेकर किसानों को संदेह और चिंताएं हैं, उन्हें वार्ता में दूर किया जाए।
किसान को आंदोलन की नई रणनीति
उधर, किसानों ने अपना आंदोलन और तेज करने के लिए रणनीति बनाई है। इसके तहत सोमवार, 21 दिसम्बर से 11 किसानों ने 24 घंटे के लिए भूख हड़ताल शुरुआत की। रणनीति के तहत रोजाना 11 किसान 24 घंटे के लिए भूख हड़ताल पर रहेंगे। जब 11 किसानों का उपवास समाप्त होगा तो अन्य 11 किसानों का उपवास शुरू हो जाएगा। इसके अलावा कुछ दिनों बाद टोल प्लाजा फ्री करना और थाली बजाने जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।