जयपुर

छोटी चौपड़ कुंड का मूल स्वरूप नहीं लौटा पाए, अब मेट्रो अधिकारी दम भर रहे कि बड़ी चौपड़ का भी मूल स्वरूप लौटाएंगे

परकोटे में जयपुर मेट्रो के निर्माण के दौरान छोटी और बड़ी चौपड़ पर तोड़े गए प्राचीन कुंडों के पत्थर पुराने पुलिस मुख्यालय से हटाकर मेट्रो के मानसरोवर डिपो में रखवाए गए हैं। जानकारी में आया है कि फरवरी महीने के अंत में इन पत्थरों को दसियों डम्परों और ट्रेक्टर ट्रालियों में भरकर दूसरी जगह ले जाया गया। इन पत्थरों को जयपुर मेट्रो ने दिल्ली मेट्रो के सुपुर्द किया था और इन्हें छोटी व बड़ी चौपड़ के कुंडों के पुनर्निर्माण में काम में लाया जाना था, लेकिन अब इन पत्थरों का कुंड में इस्तेमाल होता दिखाई नहीं दे रहा है।

जयपुर मेट्रो के प्रोजेक्ट डायरेक्टर जी एस बावरिया ने बताया कि पत्थर गायब नहीं हुए हैं, बल्कि उन्हें मेट्रो के मानसरोवर स्थित डिपो पर रखवाया गया है। इन पत्थरों से बड़ी चौपड़ के कुंड को भी उसके मूल स्वरूप में बनवाया जाएगा। वहीं दूसरी ओर जयपुर मेट्रो की हैरिटेज कंसल्टेंट आभा नारायण लांबा का भी यही कहना है कि हमने छोटी चौपड़ के कुंड में इन पत्थरों का इस्तेमाल किया है। इन पत्थरों से कुंड की फर्श का निर्माण किया है। बड़ी चौपड़ के कुंड को भी इसी तरह से तैयार कराया जाएगा।

सामने आया जयपुर मेट्रो का सफेद झूंठ
मेट्रो अधिकारी और कंसल्टेंट कह रहे हैं कि छोटी चौपड़ कुंड का निर्माण मूल स्वरूप के अनुसार कराया गया है। वहीं दूसरी ओर वह यह भी कह रहे हैं कि कुंड की फर्श में पुराने पत्थर लगाए गए हैं, जो उनके सफेद झूंठ को साबित कर रहे हैं। मान भी लेते हैं कि कुंड में पुराने पत्थर लगाए गए हैं, लेकिन क्या जमीन से निकला कुंड भी करौली के गुलाबी रंग के पत्थर का बना था?

जबकि हकीकत यह है कि छोटी चौपड़ कुंड में गुलाबी पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है, जो उसके मूल स्वरूप के विपरीत है। इसी तरह से बड़ी चौपड़ कुंड भी बनाया जाता है तो पुराने पत्थरों में से 10 फीसदी पत्थर भी काम में नहीं आ पाएंगे। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि शेष बचे पुराने पत्थरों का क्या उपयोग होगा?

सुरक्षित रखवाए जाने के बावजूद इनका खुर्द-बुर्द होना तय
मेट्रो अधिकारियों ने यह तो साफ कर दिया कि पत्थरों को सुरक्षित दूसरी जगह रखवाया गया है, लेकिन फिर भी इनके खुर्द-बुर्द होने की आशंका है, क्योंकि छोटी चौपड़ के कुंड का मूल स्वरूप के विपरीत गुलाबी रंग के करौली स्टोन से पुनर्निर्माण हो चुका है। उसी तरह से बड़ी चौपड़ के कुंड का भी पुनर्निर्माण कर दिया जाएगा। ऐसे में यह पत्थर बेकार साबित होंगे, तभी तो इन्हें साइट से हटाकर डिपो में रखवाया गया है। कुछ समय बाद या तो इन्हें खुर्द-बुर्द कर दिया जाएगा या फिर अन्य कार्यों में इनका इस्तेमाल हो जाएगा।

सौंपने चाहिए पुरातत्व विभाग को
जब प्राचीन कुंड से निकले पत्थरों को उपयोग में ही नहीं लिया जा रहा है तो जयपुर मेट्रो को इन पत्थरों को पुरातत्व विभाग को सौंप देना चाहिए। पत्थर खुर्द-बुर्द होने या दूसरे उपयोग में आने से तो अच्छा यह है कि पुरातत्व विभाग जयपुर के प्राचीन स्मारकों का मूल स्वरूप बरकरार रखने में इनका उपयोग करे, क्योंकि पुरातत्व विभाग भी इन दिनों प्राचीन स्मारकों में लगी निर्माण सामग्री की कमी से जूझ रहा है।

लौट सकता है बड़ी चौपड़ का मूल स्वरूप
जयपुर मेट्रो ने छोटी चौपड़ कुंड का मूल स्वरूप तो आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण के भ्रष्ट अधिकारियों से बर्बाद करा दिया, लेकिन बड़ी चौपड़ कुंड का मूल स्वरूप लौटाया जा सकता है। इसके लिए करना बस यह है कि एडमा से बड़ी चौपड़ के पुनर्निर्माण का काम वापस लेकर पुरातत्व विभाग को सौंपना भर है। पुरातत्व में अभी भी ऐसे ठेकेदार हैं, जो कुंड को उसके पुराने स्वरूप में लौटा सकते हैं। वैसे भी पुरातत्व विभाग इन दिनों कंगाली की हालत में है और पेटी कॉन्ट्रेक्टर के रूप में स्मार्ट सिटी और पर्यटन विभाग से काम लेकर कर रहा है।

वल्र्ड हैरिटेज डे पर दफन होती जयपुर की विरासत को श्रद्धांजलि दी
धरोहर बचाओ समिति की ओर से वल्र्ड हैरिटेज डे पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया और दफन होती वर्ल्ड हैरिटेज सिटी को श्रद्धांजलि दी। लॉकडाउन होने के कारण बड़ा कार्यक्रम तो आयोजित नहीं किया गया, लेकिन कुछ कार्यकर्ताओं के साथ त्रिपोलिया बाजार में तीन दिन पूर्व गिरे बरामदों पर फूल माला और पुष्प चढ़ाकर सांकेतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया।

शर्मा ने बताया कि राजस्थान सरकार, नगर निगम हैरिटेज, स्मार्ट सिटी, पुरातत्व विभाग और एडमा को नींद से जगाने के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। परकोटा शहर में यदि इसी तरह से कमीशन के खेल में विरासतों से खिलवाड़ होता रहा तो एक-दो दशक में जयपुर के स्थापत्य का सारा वैभव सरकार की लापरवाही और विभिन्न विभागों के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएगा।

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