कोविड-19 मरीजो से उत्पन्न बायो मेडिकल वेस्ट के सुरक्षित निस्तारण के लिए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के निर्देशानुसार केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने कोविड-19 बायो मेडिकल वेस्ट के सुरक्षित एवं वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण के लिए गाइडलाइंस जारी की है। उधर राजस्थान की राजधानी जयपुर में होम आइसोलेट संक्रमित मरीजों के कचरे के एकत्रिकरण की भी तैयारी नहीं की गई है।
पर्यावरण विभाग के निदेशक एवं संयुक्त शासन सचिव विक्रम केशरी प्रधान ने बताया कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने कोविड-19 बायो मेडिकल वेस्ट के सुरक्षित उपचार एवं निस्तारण के लिए संबंधित विभागों एवं पक्षों की जिम्मेदारी तय की गई है। पर्यावरण विभाग एवं राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा दिशा निर्देर्शों की पालना के लिए संबंधित विभागों एवं संस्थानों को निर्देशित किया गया है।
प्रधान ने बताया कि कोविड-19 से उत्पन्न वर्तमान परिस्थितियों एवं मरीजो की निरंतर बढती हुई संख्या के मद्देनजर सरकार द्वारा स्थानीय निकाय विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के साथ समस्त जिला कलेक्टरों को कोविड-19 से उत्पन्न अपशिष्ट के प्रबन्धन एवं उक्त दिशा निर्देशों की सख्ती से पालना सुनिश्चित करने हेतु निर्देशित किया गया है।
राजधानी में संक्रमित कचरे के एकत्रिकरण की भी व्यवस्था नहीं
कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए हर जगह अथक प्रयास हो रहे हैं और एनजीटी ने गाइडलाइन भी जारी कर दी है, इसके बावजूद जयपुर में संक्रमित कचरे के उचित निस्तारण की बात तो दूर एकत्रिकरण की भी व्यवस्था नहीं हो पाई है। नगर निगम ग्रेटर और हैरिटेज की ओर से होम आइसोलेटेड कोरोना मरीजों के संक्रमित कचरे के एकत्रिकरण की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग पर डालने की कोशिश की थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की ओर से हाथ खड़े किए जाने के बावजूद निगम प्रशासन अभी तक होम आइसोलेटेड मरीजों के कचरे के एकत्रिकरण की कोई योजना नहीं बना पाया है।
डोर-टू-डोर हूपर्स पर लगाने चाहिए लाल डब्बे
निगम सूत्रों का कहना है कि राजधानी में संक्रमण तेज होते ही नगर निगमों को डोर-टू-डोर कचरा एकत्रिकरण में लगे हूपर्स पर खतरनाक कचरे के लिए अलग से लाल रंग का डब्बा लगाना चाहिए था और उसमें कोरोना संक्रमित मरीजों का कचरा एकत्र कर मेडिकल वेस्ट निस्तारण करने वाली फर्म को यह कचरा सौंपने की व्यवस्था करनी चाहिए थी, लेकिन निगम प्रशासन ने आपराधिक लापरवाही करते हुए अभी तक यह कार्य नहीं किया है, जो संक्रमण को फैलाने में मददगार साबित हो रहा है। इस लापरवाही के लिए दोनों निगमों के आयुक्त, उपायुक्त स्वास्थ्य और अधिशाषी अभियंता प्रोजेक्ट जिम्मेदार हैं।
सफाईकर्मियों को नहीं दिए सेनेटाइजर, मास्क और ग्लव्ज
दोनों नगर निगमों में कोरोना काल में अंधेरगर्दी मची है। अधिकारियों की घोर लापरवाही का एक अन्य उदाहरण भी सामने आया है। राजधानी में विगत एक महीने से कोरोना संक्रमण बेतहाशा बढ़ रहा है और निगमों ने सफाईकर्मियों को काम पर झोंक रखा है, लेकिन उन्हें संक्रमण से बचाव के लिए मास्क, ग्लव्ज और सेनेटाइजर उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं। चार दिन पूर्व सफाईकर्मियों की यूनियन की तरफ से दोनों निगमों को इस संबंध में ज्ञापन भी दिया गया। इसके बाद नगर निगम हैरिटेज की ओर से तो एक बार सफाई कर्मियों को मास्क, सेनेटाइजर उपलब्ध कराया जा चुका है, लेकिन ग्रेटर की ओर से अभी तक ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई है।