जयपुर

भाजपा (BJP) में चरम पर गुटबाजी (groupism), क्या समझौते की तैयारी

जयपुर ग्रेटर महापौर के निलंबन के मामले ने राजस्थान भाजपा (BJP) की चूलें हिला दी है। इसके बाद से ही भाजपा में गुटबाजी (groupism) चरम पर पहुंच चुकी है। सभी गुट एक-दूसरे को मात देकर प्रदेश भाजपा पर काबिज होने की तैयारी में लगे हैं। अंदरखाने कहा जा रहा है कि जल्द ही भाजपा के केंद्रीय संगठन और विभिन्न गुटों के मध्य समझौता हो सकता है। यदि केंद्रीय नेतृत्व दबाव में आया तो बड़े परिवर्तन के साथ गुटबाजी अगले विधानसभा चुनावों तक दब जाएगी, नहीं तो फिर से सभी गुट एक-दूसरे पर वार-प्रतिवार करते नजर आएंगे।

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया जयपुर में चल रहे घटनाक्रम के ताजा हालातों की जानकारी देने के लिए दिल्ली में है। कहा जा रहा है कि वह केंद्रीय नेतृत्व को फोन टेपिंग, उनके पुराने पत्र के वायरल होने के साथ मातृ संगठन के प्रचारक के खिलाफ एसीबी में दर्ज हुए मुकद्दमे की जानकारी देंगे। उनका वहां राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्ढा से मिलने का कार्यक्रम है।

सूत्रों का कहना है कि भाजपा के लिए प्रचारक का पेंच काफी गहरा फंसा है और इस मामले में दिल्ली तक में हड़कंप मचा है। प्रदेश भाजपा ने इस मामले में चुप्पी साधने की काफी कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो पाए। अब चर्चा आम है कि प्रचारक की गिरफ्तारी होगी या नहीं?

सूत्र बता रहे हैं कि इसी पेच पर भाजपा में बड़ा समझौता हो सकता है। समझौता तभी संभव होगा, जबकि केंद्रीय नेतृत्व दबाव में आए। केंद्रीय नेतृत्व दबाव में आता है तो राजस्थान भाजपा में ऊपर से लेकर नीचे तक बड़ा फेरबदल हो जाएगा। यदि केंद्रीय नेतृत्व दबाव में नहीं आया तो गुटबाजी यों ही जारी रहेगी।

सूत्र कह रहे हैं कि भाजपा के बड़े नेताओं ने बीवीजी के भुगतान की सिफारिश की थी, लेकिन प्रदेश के नौसिखिए नेतृत्व और पहली बार चुनाव जीत कर पार्षद बनी महापौर ने बड़े नेताओं की सिफारिशों को नहीं माना। दोनों ने मिलकर ऐसी परिस्थितियां बना दी कि भाजपा को बोलने लायक नहीं छोड़ा। अब यह ऊपर की लड़ाई है तो इसका इलाज भी ऊपर से ही होगा।

भाजपा सूत्र कह रहे हैं कि गुटबाजी सड़कों पर आने के कारण भाजपा को इस समय बड़ा नुकसान हो रहा है, साथ ही मातृ संगठन की प्रतिष्ठा भी दांव पर लग गई है। प्रचारक की गिरफ्तारी हो या न हो, प्रभुत्व जमाने के लिए समझौता हो या ना हो, लेकिन कांग्रेस को इस मामले में मुंंह मांगी मुराद मिल गई है और संघ पर हमला करने के लिए अच्छा मौका मिल गया है।

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने बुधवार को पीसीसी में आयोजित प्रेसवार्ता में भाजपा और संघ पर हमला बोला। डोटासरा ने कहा कि भाजपा और संघ के लोग भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए हैं। ये लोग धर्म के नाम पर भ्रष्टाचार करते हैं, चंदा उगाहते हैं और फिर बेईमानी करते हैं। ईमानदार और राष्ट्रवादी कहलाने वाले इन भाजपा नेताओं का वास्तविक चेहरा जनता के सामने आ गया है।

बीवीजी कंपनी के मामले में उन्होंने सरकार व एसीबी से मांग की कि वह ऐसे भ्रष्टाचारियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करे और उन्हें गिरफ्तार करे। भाजपा और आरएसएस का चाल, चरित्र और चेहरा बेनकाब हो चुका है। एसीबी ने किसी धड़े के कहने पर यह कार्रवाई नहीं की है, बल्कि नियमानुसार कार्रवाई की है।

वहीं दूसरी ओर भाजपा भी इस मामले में आज आक्रामक रही। एसीबी की एफआईआर में आरएसएस प्रचारक का नाम आने के बाद उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ और पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी ने गहलोत सरकार और एसीबी को जमकर कोसा और इशारों-इशारों में अधिकारियों को भी हिदायत दे दी। राठौड़ ने कहा कि गहलोत सरकार सरकारी एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर दिल्ली में बैठे अपने आकाओं को खुश करने का काम कर रही है।

एसीबी का यह पहला ऐसा मामला होगा, जिसमें न तो कोई परिवादी है और न ही कोई पीडि़त। कूटरचित वीडियो के आधार पर राष्ट्रवादी संगठन को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। भाजपा सरकार के इस कदम पर चुप बैठने वाली नहीं है।

राठौड़ और चतुर्वेदी ने सरकार की ब्यूरोक्रेसी को इशारों-इशारों में समझा दिया कि ‘समय का चक्र घूम रहा है, कानून के अनुसार काम करें, वरना आने वाला समय आपके लिए चुनौतिपूर्ण होगा, सत्ता आती-जाती रहती है, अधिकारी अपनी चाल नहीं बदलें।’

राजेन्द्र राठौड़ ने कथित वीडियो को तेलंगाना एफएसएल लैब में भेजने पर भी सवाल उठाए, राठौड़ ने एसीबी से सवाल किया कि ‘कथित वीडियो को सेंट्रल एफएसएल लैब क्यों नहीं भेजा गया? जब सरकार पर संकट आया था, जिस समय सरकार पांच सितारा होटल में कैद थी, तब भी ऑडियो वायरल हुए थे, एसीबी ने कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ ही मामले दर्ज किए थे, पूर्व डिप्टी सीएम और 16 विधायकों का नाम आया था मामले में, लेकिन फिर उन सभी मामलों को किसके इशारे पर वापस ले लिया गया?

कांग्रेस के विधायक ने यह भी कहा उनके फोन टेप हो रहे हैं। कांग्रेस के विधायक भरतसिंह ने गहलोत सरकार के मंत्री प्रमोद जैन भाया पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया। राजेन्द्र राठौड़ ने एकल पट्टा प्रकरण, ज्योति खंडेलवाल के वीडियो और आईएएस निर्मला मीणा से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों
के उदाहरण भी दिए।

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