प्रभातपुरी झरने पर पर्यटकों की आमद बढ़ाने के लिए बनाई जा रही सड़क
लगातार अतिक्रमण के कारण सिकुड़ती जा रही जयपुर की नाहरगढ़ सेंचुरी में अतिक्रमण का नया मामला सामने आया है। प्रमुख पर्यटन स्थल जल महल के सामने सेंचुरी में स्थित प्रभातपुरी के खोले में जाने के लिए सोमवार को मिलीभगत के रास्ते का निर्माण शुरू हो गया है।
प्रभातपुरी के खोले में जाने को रास्ता बनाने के लिए जैसे ही जेसीबी चली, किसी ने रास्ता बनाने के लिए खुदाई करती हुई जेसीबी के फोटो खींचकर स्थानीय लोगों के व्हाट्सअप ग्रुप पर पार्षद के मैसेज के साथ पोस्ट कर दिए कि प्रभातपुरी जाने के लिए रास्ता सही कराने का काम शुरू कर दिया गया है। इसी के साथ ही विरोधी सक्रिय हो गए और सेंचुरी की जमीन पर अवैध रूप से रास्ता बनाने की चर्चा शुरू हो गई। बताया जा रहा है कि रास्ता निर्माण के समय स्थानीय वार्ड-11 के पार्षद भूपेंद्र कुमार मीणा मौके पर ही मौजूद थे और जेसीबी नगर निगम हैरिटेज की बताई जा रही है।
वन विभाग के हॉफ, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन, नाहरगढ़ रेंज के डीसीएफ तक इसकी शिकायतें फोटो के साथ पहुंच गई। बताया जा रहा कि प्रभातपुरी का खोला सेंचुरी के अंदर आता है और यहां बिना वन विभाग की अनुमति के एक पत्ता भी नहीं तोड़ा जा सकता है। इसके बावजूद सेंचुरी की जमीन पर रास्ता बनाने के लिए जेसीबी चलाई गई।
शिकायत मिलने के बाद वन विभाग के उच्चाधिकारियों ने नाहरगढ़ रेंज के फोरेस्टर और रेंजर से इसकी जानकारी मांगी है। फोरेस्टर श्याम सिंह का कहना है कि जिस जगह जेसीबी चलाई गई, उस जगह बारिश के कारण गड्ढा हो गया था और सीवर लाइन धंस गई थी। जब उनसे पूछा गया कि गड्ढा भरने और जेसीबी चलाने की विभाग से अनुमति ली गई है या नहीं, तो उनका कहना था कि यहां वन भूमि पर दो लाख अतिक्रमण है, किस-किस का ध्यान रखें। इस मामले में रेंजर नितिन शर्मा कुछ भी बोलने से बचते रहे।
फोरेस्टर के बयान के बाद यह तो साफ हो रहा है कि सेंचुरी के क्षेत्र में रास्ते का निर्माण किया जा रहा था। ऐसे में अब विभाग को जांच कराना जरूरी हो गया है कि अवैध रूप से कौन रास्ते का निर्माण करा रहा था? क्या इसके लिए वन विभाग की इजाजत ली गई या नहीं? जंगल में सीवर लाइन किसने बना दी?
पर्यटन बढ़ाने की कवायद
वन विभाग के सूत्रों का कहना है कि प्रभातपुरी के खोले में मंदिर बने हैं, जहां वर्षभर लोग दर्शनों के लिए आते हैं। वहीं जयपुर से प्रमुख पर्यटन स्थल आमेर, नाहरगढ़, जयगढ़ और जलमहल जाने वाले रास्ते पर यह जगह पड़ती है और बारिश में यहां झरने बहने लगते हैं, ऐसे में कई वर्षों से गाइड यहां पर्यटकों को लाने लगे हैं। मंदिर होने के कारण यहां स्थानीय लोगों ने प्रसाद व खानपान की दुकानें खोल रखी है। स्थानीय निवासियों को लगता है कि यहां पर्यटको की ज्यादा आवक होगी तो उनका रोजगार बढ़ेगा। ऐसे मे प्रभातपुरी जाने के कच्चे रास्ते को पक्का करने की कोशिशें लगातार की जा रही है। इसमें वन विभाग के स्थानिय अधिकारियों की भी मिलीभगत हो सकती है।