राठौड़ ने कसा डोटासरा पर तंज, कहा पर्यटन स्थल घोषित किया जाए नाथी का बाड़ा
जयपुर। राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Assembly) में उस समय ठहाके गूंज उठे, जबकि उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ ने पर्यटन व्यवसाय संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान कह दिया कि ‘नाथी के बाड़े ‘को भी पर्यटन स्थल घोषित किया जाए।
उन्होंने शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा पर तंज कसते हुए कहा कि नाथी का बड़ा को टूरिस्ट प्लेस घोषित कर देना चाहिए। इस मुद्दे पर जोरदार बहस के बाद शिक्षामंत्री ने पलटवार करते हुए कहा कि ‘नाथी का बाड़ा’ राज्य में पहले से ही टूरिस्ट प्लेस है। राठौड़ को भी वहां घूमकर आना चाहिए।
सदन को नहीं बनने देंगे ‘नाथी का बाड़ा’
दोनों नेताओं के बीच तीख बहस को देखकर सभापति राजेंद्र पारीक को बीच बचाव करना पड़ा। उन्होंने दोनों को टोकते हुए कहा कि वह सदन को ‘नाथी का बाड़ा’ नहीं बनने देंगे। सोमवार को विधानसभा में सिर्फ उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ही नहीं बल्कि 8 विधायकों ने अलग-अलग तरीके से ‘नाथी के बाड़े’ का जिक्र करते हुए डोटासरा पर तंज कसा था।
विधायक अशोक लाहोटी, मदन दिलावर, वासुदेव देवनानी, ज्ञानचंद पारख व बिहारीलाल ने अपने संबोधन में नाथी के बाड़े का जिक्र किया। सदन में आज हुई नाथी के बाडे की चर्चा के बाद कहा जा रहा है कि अब पूरे सत्र के दौरान नाथी का बाड़ा विधानसभा में चर्चा का विषय रहेगा।
उल्लेखनीय है कि कुछ महीनों पूर्व राजस्थान के कुछ शिक्षक अपनी मांगों को लेकर शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा को ज्ञापन सौंपने पहुंचे थे। इस दौरान उन पर बिफरते हुए डोटासरा ने कहा था कि उनके आवास को क्या ‘नाथी का बाड़ा’ समझ रखा है। इसके बाद ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। तभी से ‘नाथी का बड़ाÓ ट्रेंड कर रहा है।
यहां से शुरू हुई यह कहावत
राजस्थान के कोटा जिले के आंवा में एक अतिप्राचीन मंदिर समूह है, जिसे पोपाबाई मंदिर समूह कहा जाता है। इस जगह के बारे में कहा जाता है कि यहां किसी काल में पोपाबाई का राज चलता था, जो भारी अराजकता के लिए जाना जाता था। पोपाबाई ने लोगों को इतनी छूट दे रखी थी कि लोग मनमानी पर उतारू हो गए थे। इसी कारण से राजस्थान के राजनीतिक गलियारों में शुरू से ही ‘पोपाबाई का राज ‘ कहावत प्रचलित थी, लेकिन डोटासरा ने इसे बदलकर नाथी का बाड़ा कर दिया।
पुरातत्व विभाग राजस्थान ने पोपाबाई के प्राचीन मंदिरों का मूल स्वरूप बिगाड़ कर रख दिया है। हरे-मटमैले सैंड स्टोन से बने इन मंदिरों में पुरातत्व विभाग ने गुलाबी पत्थर का इस्तेमाल जीर्णोद्धार के लिए किया, जिससे यह मंदिर दोरंगे हो गए हैं और सवाल कर रहे हैं कि क्या राजस्थान में पोपाबाई का राज चल रहा है?