राजस्थान से मंत्री हरीश चौधरी को पंजाब और रघु शर्मा को गुजरात कर जिम्मेदारी सौंपने के बाद फरवरी में संभावित उत्तराखंड विधानसभा चुनावों (Uttarakhand elections) के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC)ने राजस्थान के नेताओं पर फिर से भरोसा (confidence) जताया है। प्रदेश के आठ विधायकों समेत नौ कांग्रेसी नेताओं को उत्तराखंड में जिला पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी दी गई है। उत्तराखंड के 26 में से 9 जिलों के जिला पर्यवेक्षक (district observers) की जिम्मेदारी राजस्थान (Rajasthan) के नेताओं (leaders) के पास है।
जिला पर्यवेक्षक बनाए गए 9 नेताओं को उत्तराखंड की 70 में से 32 सीटों की जिम्मेदारी दी है। इस हिसाब से करीब आधी सीटों की जिम्मेदारी राजस्थान के नेताओं के हाथ रहेगी। दो मंत्रियों को लोकसभा पर्यवेक्षक बनाया है। इस तरह कुल 11 नेताओं को उत्तराखंड में जिम्मेदारी दी है।
इनमें कांग्रेस विधायक प्रशांत बैरवा, दानिश अबरार, इंद्राज गुर्जर, कृष्णा पूनिया, वेदप्रकाश सोलंकी, इंदिरा मीणा, चेतन डूडी, रफीक खान और पूर्व मेयर ज्योति खंडेलवाल को विधानसभा चुनावों में जिला पर्यवेक्षक बनाया है। राज्य मंत्री भजनलाल जाटव और राजेंद्र यादव को लोकसभा चुनावों के लिए पर्यवेक्षक बनाकर दो लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी दी है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके वरिष्ठ नेता हरीश रावत के क्षेत्र हरिद्वार में मंत्री भजनलाल जाटव को पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी दी गई है। निवाई से विधायक प्रशांत बैरवा को टिहरी गढ़वाल के 4 विधानसभा क्षेत्र, सवाई माधोपुर के विधायक दानिश अबरार को देहरादून-पचवादून के 4 विधानसभा क्षेत्र, विराट नगर के विधायक इंद्राज गुर्जर को देहरादून के 3 विधानसभा क्षेत्र, सादुलशहर की विधायक कृष्णा पूनिया को रुड़की महानगर और रुड़की ग्रामीण के 6 विधानसभा क्षेत्र, चाकसू के विधायक वेद प्रकाश सोलंकी को अल्मोड़ा के 3 विधानसभा क्षेत्र, बामनवास की विधायक इंदिरा मीणा को चंपावत के 2 विधानसभा क्षेत्र, चेतन डूडी को नैनीताल के 5 विधानसभा क्षेत्र, आदर्श नगर जयपुर के विधायक रफीक खान को उधम सिंह नगर के 3 विधानसभा क्षेत्र और ज्योति खंडेलवाल को हरिद्वार महानगर के 2 विधानसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
कांग्रेस के जिन विधायकों को जिला पर्यवेक्षक बनाया है, उन्हें विधानसभा चुनाव के टिकट के लिए उम्मीदवारों के लिए रायशुमारी करने, फील्ड में चुनाव लड़वाने तक की पूरी जिम्मेदारी रहेगी। जिला पर्यवेक्षक जिले में आने वाली विधानसभा सीटों की पूरी चुनावी रणनीति बनाएंगे। इन नेताओं को प्रदेश प्रभारी और बाकी नेताओं के साथ कॉर्डिनेशन का जिम्मा भी रहेगा।