जयपुर

आमेर महल के हाथ से जाएगी मावठा पार्किंग, वन एवं वन्यजीव अधिनियमों की धज्जियां उड़ाना पड़ रहा महंगा

केसर क्यारी पर बने लाइट एंड साउंड शो को बंद कराने के बाद रास्ते और मावठा पार्किंग को नियंत्रण में लेगा वन विभाग

जयपुर। पुरातत्व विभाग में दशकों से एक ही जगह पर जमे अधिकारियों की मनमानी अब उनको ही भारी पड़ रही है। इन अधिकारियों ने सोचा भी नहीं था कि वन एवं वन्यजीव अधिनियमों की धज्जियां उड़ाना उनको इतना भारी पड़ सकता है। नाहरगढ़, जयगढ़ के बाद अब विश्व विरासत स्थल आमेर महल में हड़कंप मचने वाला है, क्योंकि वन विभाग एनजीटी के आदेशों की पालना में जल्द ही परियों के बाग के पास बनी मावठा पार्किंग को अपने नियंत्रण लेने की तैयारी कर रहा है।

नाहरगढ़ अभ्यारण्य के मामले में आए एनजीटी के आदेशों के अनुसार 1 दिसंबर 2021 से पूर्व पुरातत्व विभाग को केसर क्यारी के पास बने लाइट एंड साउंड शो को बंद करना होगा। इसके लिए वन विभाग की ओर से पुरातत्व विभाग को चेताया भी जा चुका है। कहा जा रहा है कि बुधवार को नाहरगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य के ईको सेंसेटिव जोन संबंधी मॉनीटरिंग कमेटी की बैठक जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में आयोजित होगी। इसी बैठक में वन विभाग लाइट एंड साउंड शो को बंद करने की मांग पुरजोर तरीके से उठा सकता है।

वन विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लाइट एंड साउंड शो बंद होने के बाद वन विभाग इसकी जमीन, शो तक जाने वाले रास्ते और मावठा पार्किंग को अपने नियंत्रण में लेने की तैयारी कर रहा है, क्योंकि पुरातत्व विभाग और उसकी कार्यकारी एजेंसी एडमा ने राजनैतिक और प्रशासनिक दबाव बनाकर नाहरगढ़ अभ्यारण्य की सीमा में आ रही इस जमीन पर यह अवैध व्यावसायिक निर्माण कराया था। पुरातत्व विभाग अभी तक करोड़ों रुपयों का राजस्व इस जमीन से वसूल चुका है।

जानकारी के अनुसार मावठा पार्किंग पर नियंत्रण के बाद वन विभाग इस पार्किंग को बंद नहीं करेगा, बल्कि स्वयं इस पार्किंग का संचालन करेगा। वन विभाग इस पार्किंग का उपयोग नाहरगढ़ अभ्यारण्य में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए करेगा। एनजीटी का फैसला आने के बाद वन विभाग नाहरगढ़ में ईको टूरिज्म शुरू करने की योजनाएं तैयार कर रहा है।

उल्लेखनीय है कि क्लियर न्यूज डॉट कॉम पिछले करीब डेढ़ वर्ष से जयपुर के पर्यावरण को स्वच्छ रखने वाले इस अभ्यारण्य में चल रही अवैध गतिविधियों को लेकर लगातार खबरें प्रकाशित कर रहा है। क्लियर न्यूज की मुहिम के बाद ही वन प्रेमी राजेंद्र तिवाड़ी की ओर से अभ्यारण्य में अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों को बंद कराने को लेकर जनहित याचिका पेश की गई थी, जिसपर एनजीटी ने यह ऐतिहासिक फैसला दिया है।

आदेशों की पालना के लिए करेंगे बाध्य
अभ्यारण्य मामले में परिवादी राजेंद्र तिवाड़ी ने बताया कि जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में वह भी मौजूद रहेंगे और एनजीटी के आदेशों की पालना के लिए प्रशासन को बाध्य करेंगे। तिवाड़ी ने कहा कि पिछले साठ सालों में सरकार ने इस अभ्यारण्य को बदहाल कर रखा था। इसमें पुरातत्व विभाग के साथ-साथ वन विभाग भी दोषी है, लेकिन एनजीटी के आदेशों के बाद इस अभ्यारण्य में वन एवं वन्यजीव विकास की संभावनाएं बलवति हुई है। प्रदूषण की मार झेल रहे दिल्ली को देखकर जयपुर के लोगों और सरकार को यह समझ लेना चाहिए कि यह अभ्यारण्य जयपुर के लिए कितना जरूरी है। इसी अभ्यारण्य की वजह से अभी तक जयपुर का पर्यावरण बचा हुआ है। जयपुर के लिए आस-पास का वन क्षेत्र ऑक्सिजन प्लांट की तरह है।

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