राजस्थान कांग्रेस में चल रहा अंतरकलह रोचक मोड़ पर पहुंच चुका है। हर रोज कुछ नया चमत्कार होने की आशाएं होती है, लेकिन मामला घूम फिरकर वापस पहली जगह पहुंच जाता है। अब इस अंतरकलह में बाबाओं और आशीर्वादों की भी एंट्री हो चुकी है। उत्तर प्रदेश के संभल में आयोजित कल्कि महोत्सव में कांग्रेस विधायक सचिन पायलट (Pilot) को बाबाओं से मुख्यमंत्री (Chief Minister) बनने का आशीर्वाद मिला, वहीं दूसरी ओर कहा जा रहा है कि दिल्ली से अशोक गहलोत (Gehlot) को मुख्यमंत्री बने रहने का इशारा (hint) मिल गया है। पत्रकारों से वार्ता में गहलोत की बॉडी और लैंग्वेज से तो यही पता चल रहा है।
गुरुवार को दिल्ली में 10 जनपथ से बाहर निकलते हुए गहलोत ने पत्रकारों से कि मंत्रिमंडल विस्तार के सवाल पर कहा कि अभी थोड़ा सब्र रखिए। मंत्रिमंडल फेरबदल पर हाईकमान फैसला करेगा, मैं रिपोर्ट दे चुका हूं। मैंने प्रदेश के विषय पर सारी स्थिति सोनिया गांधी और बुधवार को हुई बैठक में रख दी है। अब आगे का निर्णय आलाकमान पर छोड़ा है, जो आलाकमान कहेगा वह हम सब को मंजूर होगा।
मंत्रिमंडल फेरबदल होगा या नहीं इस सवाल पर सीएम गहलोत ने कहा कि यह हाईकमान तय करेगा कि कब फेरबदल करना है। प्रभारी अजय माकन को बता दिया है। उन्होंने कहा कि प्रभारी अजय माकन राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से बात करेंगे, उसके आधार पर हाईकमान फैसला करेगा। उन्होंने मीडिया पर निशाना साधते हुए कहा कि आप थोड़ा सब्र रखो, मीडिया मंत्रिमंडल की तारीख घोषित कर देता है जो मुझे ही पता नहीं होती। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पत्रकारों से हुई इस वार्ता में उनकी बॉडी लैंग्वेज में कुछ ऐसा नहीं दिखाई दिया कि राजस्थान में कुछ होने वाला है। ऐसे में कहा जा सकता है कि गहलोत को हाईकमान से मुख्यमंत्री बने रहने का इशारा मिल चुका है।
ब्राह्मण नेता बनने के लिए पायलट को समर्थन
सचिन पायलट को बाबाओं से मिले मुख्यमंत्री बनने के आशीर्वाद पर कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि अपने आप को कल्कि पीठाधीश्वर कहलवाने वाले आचार्य प्रमोद कृष्णम गाहे-बगाहे पायलट के पक्ष में बयान देते रहे हैं, लेकिन उनके बयानों और आशीर्वाद से राजस्थान की राजनीति पर प्रभाव पडऩा संभव नहीं है। आचार्य प्रमोद उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण मुख्यमंत्री की बात करते हैं और पायलट के भरोसे गुर्जर वोटों के जरिए अपनी सीट निकालना चाहते हैं। इसके एवज में वह पायलट को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनवाना चाहते हैं।
टकराव पैदा कर कद बढ़ाने में जुटे पायलट
असल मामला यह है कि पायलट मुख्यमंत्री गहलोत से राजनीतिक रस्साकशी करके अपने दाग धोना और कद बढ़ाना चाह रहे हैं। इसी लिए वह लगातार अतिसक्रिय बने हुए हैं, लेकिन गहलोत उनकी इस चाल को बखूबी समझते हैं, ऐसे में गहलोत को न तो पायलट के दिल्ली दौरों से कोई फर्क पड़ रहा है और न ही उनके बयानों से।
बगावत प्रकरण के बाद नहीं लिया नाम
कांग्रेस सूत्र कह रहे हैं कि पायलट की चाल को गहलोत ने काफी पहले ही समझ लिया था और यही कारण है कि गहलोत कभी पायलट का नाम नहीं लेते हैं। गाहे-बगाहे वह पायलट पर तीखा हमला करते रहते हैं, लेकिन बिना नाम लिए हुए, ताकि इस झगड़े से पायलट किसी तरह का फायदा नहीं उठा सके।
सूत्र कह रहे हैं कि लगातार मुख्यमंत्री गहलोत पर निशाना साधकर पायलट अपना कद बढ़ा पाएंगे या नहीं? यह कहा नहीं जा सकता है, लेकिन यह तय है कि गहलोत पर निशाना साधने के कारण वह लगातार चर्चाओं में जरूर बने हुए हैं। यदि वह गहलोत पर निशाना नहीं साधते तो शायद बगावत के बाद कांग्रेस में कोई उनका कोई नाम लेने वाला भी नहीं होता