जयपुर

सहायक वन संरक्षक (ACF) की रिपोर्ट ने खोली पोल, नाहरगढ़ अभ्यारण्य (Nahargarh Sanctuary) में नहीं हुई नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT/एनजीटी) के आदेशों (orders) की पालना

जिला कलेक्टर, अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजस्थान ने नहीं कराई एजीटी के आदेशों की पालना, अवमानना याचिका दायर हुई तो पड़ जाएगी भारी

जयपुर के नाहरगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य (Nahargarh Sanctuary) में वाणिज्यिक गतिविधियों को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT/एनजीटी) ने ऐतिहासिक फैसला दिया लेकिन आदेशों (orders) की पालना के लिए एनजीटी ने जिन अधिकारियों को नोडल ऑफिसर बनाया, वही आदेशेां की पालना कराने में लापरवाही बरत रहे हैं, जो उन्हें कभी भी भारी पड़ सकती है। कार्रवाई को देखकर ऐसा लग रहा है कि जिला कलेक्टर सिर्फ वन विभाग और पुरातत्व विभाग को पत्र लिखकर अपने सिर की बला को टाल रहे हैं, वहीं वन विभाग के उच्चाधिकारी भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। पुरातत्व विभाग के अधिकारी आदेशों के बावजूद मनमानी पर उतरे हुए हैं, मानो एनजीटी के आदेशों की धज्जियां उड़ाना उनका प्रमुख दायित्व है।

एनजीटी ने 1 दिसंबर 2021 से नाहरगढ़ फोर्ट और पूरे अभ्यारण्य क्षेत्र में समस्त वाणिज्यिक गतिविधयों को बंद करने का आदेश दिया था। एनजीटी के आदेशों की पालना के लिए जिला कलेक्टर जयपुर को नोडल अधिकारी बनाया गया था, लेकिन नारहगढ़ अभ्यारण्य क्षेत्र में वाणिज्यिक गतिविधियां बंद नहीं हो पाई। ऐसे में इस मामले में परिवादी राजेंद्र तिवाड़ी ने अपने अधिवक्ता की ओर से जिला कलेक्टर को अवमानना नोटिस दिया था।

इस नोटिस के बाद जिला कलेक्टर ने वन विभाग और पुरातत्व विभाग राजस्थान को नोटिस देकर एनजीटी के आदेशों की पालना रिपोर्ट मांगी थी। वन विभाग ने पालना रिपोर्ट बनाने के लिए नाहरगढ़ के सहायक वन संरक्षक (ACF) वन्यजीव को नोडल अधिकारी बनाकर वस्तुस्थिति रिपोर्ट मांगी थी। नाहरगढ़ के सहायक वन संरक्षक वन्यजीव ने 27 दिसंबर 2021 को यह रिपोर्ट उपवन संरक्षक वन्यजीव, चिडिय़ाघर, जयपुर को सौंप दी।

इस रिपोर्ट की कॉपी इस मामले से संबंधित सभी पक्षों को भी भेजी गई है। इस रिपोर्ट के बाद से ही जिला कलेक्ट्रेट, वन विभाग, पुरातत्व विभाग, पर्यटन विभाग, आरटीडीसी में हड़कंप मचा हुआ है, क्योंकि इस वस्तुस्थिति रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि नियत तिथी के एक महीने बाद तक भी एनजीटी के आदेशों में से एक भी आदेश की पूरी तरह से पालना नहीं की गई है। इस रिपोर्ट की कॉपी मिलने के बाद परिवादी राजेंद्र तिवाड़ी ने भी अवमानना याचिका दायर करने की तैयारियां शुरू कर दी है। यदि इस अवमानना याचिका पर एनजीटी कोई सख्त निर्देश देता है तो यह इन विभागों के उच्चाधिकारियों को भारी पड़ सकते हैं।

एनजीटी ने दिए थे यह आदेश

  1. नाहरगढ़ अभ्यारण्य के आरक्षित वन क्षेत्र और नाहरगढ़ फोर्ट में सभी व्यावसायिक गतिविधियां 1 दिसंबर 2021 से बंद होंगी।
  2. आमेर महल में लाइट एंड साउंड शो भी इसी तारीख से बंद होगा।
  3. फोर्ट-म्यूजियम पर्यटकों के लिए यथावत चालू रहेंगे।
  4. पार्किंग, वाहनों की संख्या व बैरियर का निर्धारण वन विभाग करेगा।
  5. फोर्ट को लेकर यदि कोई सीमा विवाद है तो जिला कलेक्टर द्वारा संयुक्त सर्वे कर सीमा विवाद का निस्तारण किया जाएगा।
  6. सभी आदेशों की पालना जिला कलेक्टर जयपुर द्वारा सुनिश्चित की जाएगी।
  7. फोर्ट परिसर में समस्त गतिविधियां वन्य जीव संरक्षण अधिनियम-1972 और वन संरक्षण अधिनियम-1980 के प्रावधानों के तहत वन विभाग की ओर से कराई जाएगी।

वस्तुस्थिति रिपोर्ट में जिला कलेक्टर से यह कार्य अपेक्षित बताए

  1. नाहरगढ़ फोर्ट और अभ्यारण्य क्षेत्र में जारी वाणिज्यिक गतिविधियों को बंद कराकर वानिकि गतिविधियां शुरू कराना। मतलब अभी तक यहां वाणिज्यिक गतिविधियां बंद नहीं हो पाई है।
  2. यदि किसी विभाग से सीमा विवाद है तो संयुक्त सर्वे कराना। वन विभाग का नाहरगढ़ फोर्ट को लेकर पुरातत्व विभाग से विवाद शुरू हो गया है। पुरातत्व विभाग के पास फोर्ट का मालिकाना हक नहीं है। राजस्थान सरकार की ओर से 1968 में जारी अधिसूचना के आधार पर पुरातत्व विभाग इस फोर्ट पर मालिकाना हक जता रहा है, जबकि इस अधिसूचना के आधार पर उसे सिर्फ फोर्ट की देख-रेख और मरम्मत का जिम्मा मिला हुआ है। फोर्ट को इस अधिसूचना में शामिल करने से पहले वन विभाग की मंजूरी लेनी आवश्यक थी, जो कि नहीं ली गई।
  3. फोर्ट परिसर में वैक्स म्यूजियम को तत्काल बंद कराना। एनजीटी ने अपने आदेश में फोर्ट-म्युजियम शब्द का इस्तेमाल किया है। वैक्स म्युजियम, म्युजियम की श्रेणी में नहीं आता है और वन विभाग से भी इसके संचालन की अनुमति नहीं है।
  4. फोर्ट परिसर की पार्किंग व्यवस्था को तत्काल बंद कराकर वन विभाग को दिलाने की कार्रवाई की जाए।
  5. नाहरगढ़ फोर्ट अधीक्षक ने आदेश निकालकर आरक्षित वन क्षेत्र में संचालित कियोस्क का संचालन फिर से शुरू करा दिया, जोकि एनजीटी के आदेशों की अवमानना है। ऐसे में कियोस्क को बंद कराकर, दोषी अधिकारी के खिलाफ उचित आदेश जारी करना अपेक्षित है।

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