क्राइम न्यूज़दिल्ली

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आप विधायक अमानतुल्लाह खान को गिरफ्तार किया

आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक अमानतुल्लाह खान को प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है। उनकी गिरफ्तारी दिल्ली वक्फ बोर्ड में वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में की गई है। ED ने उनके बटला हाउस स्थित घर पर छापेमारी में छह घंटे की जांच के बाद उन्हें गिरफ्तार किया। अमानतुल्लाह खान ने आरोप लगाया है कि उन पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं और यह कदम उन्हें और उनकी पार्टी को निशाना बनाने के लिए गिरफ्तार किया गया है।
आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक अमानतुल्लाह खान ने अपनी गिरफ्तारी से पहले एक वीडियो साझा किया था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) उन्हें सर्च वारंट के बहाने गिरफ्तार करने आई है। उन्होंने बताया कि उनकी सासू मां को कैंसर है और हाल ही में उनका ऑपरेशन हुआ है। अमानतुल्लाह का कहना है कि उन्होंने ED के सभी नोटिसों का जवाब दिया है, और उन पर लगाए गए आरोप झूठे हैं। उनका आरोप है कि यह कार्रवाई उन्हें और उनकी पार्टी को निशाना बनाने के लिए की जा रही है। उनका दावा है कि वह और उनकी पार्टी इन दबावों से नहीं टूटेंगे और उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद है।
ED की शक्तियाँ
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) के पास मनी लॉन्ड्रिंग और पीएमएलए (Prevention of Money Laundering Act) के तहत निर्दिष्ट कुछ आर्थिक अपराधों की जांच करने का अधिकार है। यह एजेंसी अपनी खुफिया जानकारी के आधार पर या अन्य एजेंसियों या अधिकारियों से प्राप्त शिकायतों के आधार पर जांच शुरू कर सकती है। ED के पास मनी लॉन्ड्रिंग या आर्थिक अपराधों में शामिल होने के संदेह में संपत्तियों, दस्तावेजों, और संपत्तियों की तलाशी, छापेमारी और जब्ती करने की शक्ति है। इसमें चल और अचल संपत्तियाँ दोनों शामिल हैं।


उल्लेखनीय है कि इसी साल मई में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में ईडी की शिकायत पर अगर विशेष कोर्ट ने संज्ञान लिया हुआ है तो प्रवर्तन निदेशालय आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकता है। जस्टिस अभय एस ओका की पीठ ने कहा था कि अगर ईडी को यह लगता है कि ऐसे मामलों में आगे जांच के लिए आरोपी की हिरासत जरूरी है तो उसे विशेष अदालत में अपील करनी होगी। पीठ ने कहा था कि आरोपी का पक्ष सुनने के बाद विशेष अदालत को संक्षेप में इसकी वजह बताते हुए आवेदन पर अनिवार्य रूप से फैसला सुनाना होगा। सुनवाई के बाद अदालत हिरासत की अनुमति तभी देगी जब वह इस बात से संतुष्ट हो कि हिरासत में रखकर पूछताछ जरूरी है।

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