जयपुर। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने दौसा घूसकांड मामले में दौसा के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मनीष अग्रवाल को गिरफ्तार किया है। अग्रवाल पर दौसा एसपी रहते हुए हाइवे बना रही कंपनी को धमकाकर 38 लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप है। इस मामले में एसीबी ने पूर्व में दो आरएएस अधिकारियों और दलाल को भी गिरफ्तार किया था।
ब्यूरो के महानिदेशक बीएल सोनी ने बताया कि हाइवे निर्माण कंपनी के मालिक से अग्रवाल के नाम से पेट्रोल पंप संचालक दलाल नीरज मीणा ने चार लाख रुपए मासिक बंधी के हिसाब से 7 माह की बंधी, प्रति एफआईआर में मामला रफा-दफा करने के एवज में 10 लाख रुपए समेत कुल 38 लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी। शिकायत मिलने के बाद लालसोट रोड दौसा से नीरज मीणा को गिरफ्तार किया गया था। एसीबी टीम आईपीएस मनीष अग्रवाल के आवास और अन्य ठिकानों पर तलाशी ले रही है। हाइवे निर्माण कंपनी से रिश्वत लेने के मामले में एसीबी की यह चौथी गिरफ्तारी है।
सोनी ने बताया कि अग्रवाल को दलाल नीरज मीणा के जरिए मोटी रकम रिश्वत में मांगने के आरोप में पुख्ता सबूत मिलने पर गिरफ्तार किया गया है। घूसकांड में अग्रवाल का नाम आने पर उसके मोबाइल को एसीबी ने जब्त कर एफएसएल को भिजवाया था और इसी के जरिए पुख्ता सबूत मिले। एसीबी ने मंगलवार सुबह पूछताछ के लिए अग्रवाल को एसीबी मुख्यालय बुलाया और पूछताछ के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया।
सोनी ने बताया कि दौसा घूसकांड में एसीबी टीम ने उपखण्ड अधिकारी (एसडीएम) बांदीकुई पिंकी मीना और एसडीएम दौसा पुष्कर मित्तल को 13 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। मित्तल को 5 लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। वहीं, एसडीएम बांदीकुई पिंकी मीणा ने 10 लाख रुपए की रिश्वत की मांग की थी, जिसकी पहली किश्त 5 लाख रुपए कर्मचारी को देने की कहा था।
एसीबी अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक दिनेश एमएन ने बताया कि कार्य के दौरान वाहनों की जप्त नहीं करने व मुक़द्दमों से बचाने को लेकर दलाल नीरज मीना पुलिस अधिकारियों के लिए रिश्वत मांग रहा था। मामले में आईपीएस का नाम सामने आने के बाद सरकार ने उन्हें दौसा एसपी पद से हटा दिया था और मुख्यालय में अटैच कर दिया था।