आदि शक्ति मां दुर्गा को समर्पित नवरात्रि का पर्व 3 अक्टूबर से शुरू होकर 12 अक्टूबर तक चलेगा। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा का आगमन हस्त नक्षत्र में होगा, जिसे ज्योतिष शास्त्र में शुभ माना गया है। मान्यता है कि इस नक्षत्र में किए गए कार्यों का सकारात्मक परिणाम मिलता है। इस बार मां दुर्गा डोली पर आएंगी और उनका प्रस्थान चरणायुध (मुर्गे) पर होगा, जिसे शुभ नहीं माना जा रहा है।
नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। पहले दिन घट स्थापना के साथ मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। साल भर में चार नवरात्रि मनाए जाते हैं—दो प्रमुख चैत्र और शारदीय, जबकि दो गुप्त नवरात्रि होते हैं।
घट स्थापना के शुभ मुहूर्त की बात करें, तो पहला मुहूर्त 3 अक्टूबर को सुबह 6:14 बजे से 7:23 बजे तक है, जबकि दूसरा मुहूर्त सुबह 11:47 बजे से दोपहर 12:34 बजे तक है।
पूजा विधि में सुबह स्नान कर, साफ कपड़े पहनकर, मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोकर, कलश पर मौली बांधना, जल और गंगाजल का मिश्रण भरना और नारियल स्थापित करना शामिल है। इसके बाद धूप-दीप जलाकर मां के मंत्रों का जाप किया जाता है।
मां शैलपुत्री को गाय के दूध से बनी चीजों का भोग लगाना शुभ माना गया है, जैसे बर्फी या खीर। नवरात्रि के पहले दिन पीले रंग को शुभ माना जाता है, इसलिए इस दिन पीले कपड़े पहनकर पूजा की जाती है।