जिला कलेक्टर ने एनजीटी के आदेशों की पालना में पुरातत्व विभाग को नाहरगढ़ और आमेर में अभ्यारण्य क्षेत्र में वाणिज्यिक गतिविधियां बंद करने के दिए निर्देश
नाहरगढ़ फोर्ट(Nahargarh Fort) पर 4 दशकों (4 decades) बाद 1 दिसंबर से दारूबाजी (liquor drinking) बंद (stopped) हो जाएगी। एनजीटी के आदेशों की पालना में जिला कलेक्टर अंतर सिंह नेहरा ने मंगलवार को पुरातत्व विभाग को निर्देश दे दिए हैं कि नाहरगढ़ और आमेर में अभ्यारण्य सीमा में सभी वाणिज्यिक गतिविधियों को तुरंत बंद कर दिया जाए। इन निर्देशों के बाद वन और पर्यावरण प्रेमियों में खुशी की लहर छा गई है।
एनजीटी के आदेशों की पालना के लिए मंगलवार सुबह जिला कलेक्टर अंतर सिंह नेहरा ने बैठक बुलाई थी। इस बैठक में वन विभाग, पुरातत्व विभाग, आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण और आरटीडीसी के अधिकारी शामिल हुए। बैठक में नेहरा ने एनजीटी के आदेशों की पालना में अभ्यारण्य क्षेत्र में चल रही सभी अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों को बंद करने के निर्देश दिए और कहा कि यदि किसी गतिविधि को बंद कराने में परेशानी आ रही हो तो वन विभाग पुलिस व प्रशासन की मदद ले सकता है।
जिला कलेक्टर के निर्देशों के बाद पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के निदेशक प्रदीप के.गावंडे ने भी नाहरगढ़ और आमेर महल के तहत चल रही वाणिज्यिक गतिविधियों को बंद करने के लिए नाहरगढ़, आमेर महल अधीक्षक और आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों को आदेश जारी कर दिए। आदेश में कहा गया है कि नाहरगढ़ फोर्ट में चल रहे समस्य रेस्टोरेंट और आमेर महल में चल रहे लाइट एंड साउंड शो को सर्वोच्च न्यायालय में दायर एसएलपी के निर्णय के अध्याधीन आगामी आदेशों तक बंद किया जाता है।
यह होगा फायदा
इस मामले में परिवादी राजेंद्र तिवाड़ी का कहना है कि नाहरगढ़ अभ्यारण क्षेत्र में अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों के बंद होने से जयपुर के नागरिकों को अनेक दूरगामी फायदे मिलेंगे। सबसे पहला यह कि जयपुर शहर को प्रदूषण से बचाने शुद्ध ऑक्सीजन प्रदान करने वाले इस वन क्षेत्र का विकास होगा। यहां के वन्यजीवों को अपने प्राकृतिक आवास में निर्बाध विचरण का हक मिलेगा। जयपुर में विरासत के साथ-साथ ईको टूरिज्म का विकास होगा।
वन प्रेमी कमल तिवाड़ी ने बताया कि सबसे बड़ी बात यह है कि कई दशकों के बाद नाहरगढ़ फोर्ट में दारूबाजी बंद हो जाएगी। लोग रात के समय वन एवं वन्यजीव अधिनियमों की धज्जियां उड़ाकर फोर्ट में पहुंचते थे। देर रात वह नशा करके जंगल में उधम मचाते थे, जिससे वन्यजीवों का जीना हराम हो चुका था। आए दिन यहां दुर्घटनाएं और अपराध होते थे। वन्यजीवों के शिकार की भी आशंका बनी रहती थी, जो अब बंद हो जाएंगी। धीरे-धीरे पूरा अभ्यारण वन विभाग के नियंत्रण में हो जाएगा और किसी अन्य की अभ्यारण्य में दखलंदाजी नहीं होगी।
उल्लेखनीय है कि डेढ़ वर्ष पूर्व क्लियर न्यूज डॉट कॉम ने सबसे पहले इस मामले को उठाया था और डेढ़ वर्ष तक अभ्यारण्य को मुक्त कराने के लिए अभियान चलाया। इसी के बाद एनजीटी में अभ्यारण्य में चल रही अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों के खिलाफ जनहित याचिका दायर हुई और एनजीटी ने अभ्यारण्य से इन गतिविधियों को बंद करने का आदेश पारित किया। हालांकि एनजीटी ने अभ्यारण में चल रही गतिविधियों को तो बंद करा दिया लेकिन चार दशकों से अधिक समय तक वन एवं वन्यजीव अधिनियम की धज्जियां उड़ाने वाले वन विभाग, पुरातत्व विभाग, एडमा, आरटीडीसी, आबकारी विभाग, विद्युत विभाग और जलदाय विभाग के अधिकारियों को कोई सजा नहीं मिल पाई, जिससे नाहरगढ़ का न्याय अधूरा रह गया। क्लियर न्यूज दोषी अधिकारियों को सजा दिलाने तक इस अभियान को जारी रखेगा। दोषियों को सजा मिलेगी, तभी शासन और प्रशासन को वन एवं वन्यजीव अधिनियमों का महत्व पता चलेगा।