जयपुर

अहमद पटेल के बेटे फैजल की राजस्थान से होगी कांग्रेस में एंट्री, दी जा सकती है राजनीतिक नियुक्ति

जयपुर। कांग्रेस पार्टी के दिवंगत नेता अहमद पटेल के बेटे फैजल पटेल का राजस्थान में आना और आते ही राजनीतिक बयानबाजी करना पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है। कांग्रेस में कहा जा रहा है कि अभी तक राजनीति से दूर रहे फैजल की राजस्थान से कांग्रेस में एंट्री हो सकती है।

सूत्रों का कहना है कि फैजल को राजस्थान से राजनीतिक नियुक्तियों में स्थान देकर अल्पसंख्यक वर्ग में एक बड़ा चेहरा बनाया जा सकता है, ताकि अगले विधानसभा चुनावों में एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी के नाम से चढ़े डर को दूर किया जा सके।

आगामी विधानसभा चुनावों में ओवैसी का राजस्थान आना तय माना जा रहा है। ऐसे में उनकी काट के लिए अभी से ही कांग्रेस में तैयारी की जा रही है। वर्ममान में कांग्रेस से राजस्थान में कोई बड़ा अल्पसंख्यक चेहरा नहीं है, जो प्रदेश के अल्पसंख्यक वर्ग को कांग्रेस की ओर खींच सके। इसके लिए फैजल को बड़ा चेहरा बनाकर प्रमोट किया जाएगा, ताकि वह अल्पसंख्यक वोटरों के बिखराव को रोक सकें।

जानकारों का कहना है कि फैजल के जयपुर पहुंचने के बाद वक्फ बोर्ड में कांग्रेसी नेताओं से मुलाकात करना, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से चर्चा करना और गहलोत के जयपुर पहुंचने पर उनसे चर्चा की बात करना साबित कर रहा है कि फैजल को राजस्थान से ही राजनीति में एंट्री की योजना तैयार है।

गुजरात में कांग्रेस को अपना अच्छा भविष्य दिखाई नहीं दे रहा है, ऐसे में कांग्रेस की कोशिश है कि अगले विधानसभा चुनावों में राजस्थान कांग्रेस के पास ही रहे। इसके लिए यह तैयारी की गई है। फैजल के राजस्थान आते ही राजनीतिक बयानबाजी करने को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।

कांग्रेस में अहमद पटेल और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का लंबा साथ रहा है और दोनों को एक दूसरे का पूरक माना जाता है। पटेल और गहलोत को गांधी परिवार का सबसे वफादार माना जाता रहा है। यदि फैजल गुजरात से राजनीति में एंट्री मारते तो वहां वह फ्लॉप हो सकते थे, क्योंकि वहां अब उनका कोई राजनीतिक संरक्षक नहीं है।

कांग्रेस के जानकारों का कहना है कि आलाकमान भी फैजल को दिल्ली या अन्य जगहों पर उनके पिता के नाम के आधार पर नियुक्ति दे सकती थी, लेकिन उन्हें वक्त की नजाकत के हिसाब से राजस्थान से राजनीति में उतारा जा सकता है। इसके पीछे दूसरा कारण यह है कि अच्छे संबंधों के कारण गहलोत फैजल के राजनीतिक संरक्षक के तौर पर रहेंगे।

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