जयपुर। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा शनिवार को न्याय वितरण प्रणाली को सुदृढ़ बनाना : न्यायनिर्णयन और एडीआर प्रक्रिया का तालमेल विषय पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी की अध्यक्षता में वेबीनार का आयोजन किया गया। न्यायाधीश ने कहा कि न्यायालयों में बढ़ते हुए मुकदमों के भार को कम करने की दिशा में वैकल्पिक विवाद निस्तारण व्यवस्था (alternative dispute resolution system) को उपयोग में लाते हुए आमजन (common man) को सस्ता, सुलभ एवं शीघ्र न्याय (speedy justice) दिलाने के प्रयास करने होगे।
उन्होंने वैकल्पिक विवाद निस्तारण व्यवस्था को नवीन प्रतिमानों तक ले जाने पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि विधिक सेवा संस्थानों का मूल लक्ष्य ‘‘न्याय सबके लिए’’तभी सार्थक होगा जब प्रत्येक न्यायिक अधिकारी, हर उस व्यक्ति को जो न्यायालय की शरण में आता है, न्याय दिलाने के लिए सतत्, सक्रिय एवं सार्थक प्रयास करें। राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत माहंती ने कहा कि न्याय व्यवस्था के भविष्य का एक अहम् हिस्सा वैकल्पिक विवाद निस्तारण व्यवस्था है।
राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष एवं राजस्थान उच्च न्यायालय के प्रशासनिक न्यायाधीश संगीत लोढ़ा ने कहा कि राजस्थान में वैकल्पिक विवाद निस्तारण व्यवस्था एक सफलतम् प्रयोग साबित हुआ है, जो कि उत्तरोत्तर प्रगति की ओर अग्रसर है। कोविड काल में ऑनलाइन माध्यम से लोक अदालत का आयोजन किया गया, जो कि आमजन की न्याय तक पहुंच का सुगम माध्यम बना।
न्यायाधीश विजय विश्नोई ने सभी प्रतिभागियों को मध्यस्थता प्रक्रिया की बारीकियों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि विवाद समाधान के साधन के रूप में मध्यस्थता लागत प्रभावी, समय की बचत कराने में सक्षम एवं पक्षकारों के लिए सुविधाजनक है।