हमारे देश में उड़ता तीर (flying arrows) लेने की प्राचीन (Ancient) परंपरा (tradition) रही है। रामायण काल में देखें तो जामवंत से लेकर रावण तक सभी ‘उड़ता तीर’ लेने की बीमारी से ग्रस्त थे और इसी कारण उस समय पूरे ब्रह्मांड में गदर मच गया था जो अभी तक जारी है। महाभारत काल में भी दानवीर कर्ण से लेकर दुर्योधन तक सभी को उड़ता तीर झेलने में मजा आता था और इसी का परिणाम था कि ‘महाभारत’ हो गई। आधुनिक काल में भी ‘उड़ता तीर’ लेने वालों का बाहुल्य है। ये कई प्रकार के होते हैं।
कुछ शहीदों ने स्वतंत्रता संग्राम के समय नि:स्वार्थ भाव से ‘उड़ता तीर’ लिया जिसका परिणाम यह रहा कि भारत आजाद हो गया। केजरीवाल जैसे कुछ लोग हैं जिन्होंने शुरू में प्रसिद्धि और कुर्सी पाने के लिए भ्रष्टाचार के विरोध में ‘उड़ता तीर’ लिया लेकिन सत्ता मिलते ही उन्होंने ‘उड़ता तीर’ लेना बंद कर दिया और अपनी पार्टी के नेताओं जैसे संजय सिंह ( जो कि पूर्व में सिनेमा टिकट ब्लैक करते थे ) को ‘उड़ता तीर’ लेने की जिम्मेदारी दे दी। ‘उड़ता तीर’ लेने वालों में सुब्रह्मण्यम स्वामी भी प्रमुख हैं। इस तरह के लोग डंके की चोट पर ‘उड़ता तीर’ लेते हैं लेकिन वे इस तीर को झेल कर किसी और पर फेंक देते हैं । जिस व्यक्ति पर वह ‘उड़ता तीर’ फेंकते हैं, आगे पीछे यह तीर उस व्यक्ति को आहत करके ही शांत होता है ।
‘उड़ता तीर’ लेकर खुद को या अपनी टीम को नुकसान पहुंचाने वालों की भी कमी नहीं है जैसे कांग्रेस के दिग्विजय सिंह इस टोली के अग्रणी हैं। आजकल उड़ता तीर लेने वालों की एक नई नस्ल सामने आ रही है जिसकी हॉबी ‘उड़ता तीर’ लेना है और इस नस्ल में सबसे ऊपर उभर कर आई है फिल्म अभिनेत्री कंगना रानौत! इनकी खुंदक मुख्य रूप से करण जौहर, आदित्य पंचोली और ऋतिक रोशन से थी लेकिन कुछ तो नये-नये ‘उड़ते तीर’ लेने में कंगना को मजा आता है और कुछ शिवसेना के संजय राउत उनसे ‘उड़ता तीर’ लेने की प्रतिस्पर्धा करने लगे। शिवसेना ने ‘उड़ता तीर’ ले लिया और अपनी फजीहत करायी। नतीजा पूरे देश में एक महाभारत शुरू हो गई।
अब हालत यह है कि बहुत से बेवकूफ कंगना रानौत से पंगा लेकर ‘उड़ता तीर’ ले रहे हैं। एक पत्रकार अजय कुमार ने उनसे ‘उड़ता तीर’ लेकर पूछा कि जब आपके साथ फिल्मों के बड़े-बड़े नायक दुराचार करने का प्रयास कर रहे थे तो आपने उसी समय इस मुद्दे को सार्वजनिक क्यों नहीं किया? हम आपका साथ देते। कंगना ने जवाब दिया कि यदि मैं उस समय आप जैसे पत्रकारों को यह बात बता देती तो आप पहले तो दुराचार करने वाले हीरो को ब्लैकमेल कर पैसा वसूल करते, उसके बाद मुझे ही फोकट का ज्ञान देते इसलिए मुझे आप जैसे कायर हिजड़ों की सहायता की जरूरत नहीं है।
हमारे देश में किसानों और मजदूरों को छोड़ दें तो बाकी सारे लोग अनुत्पादक कामों में लगे हुए हैं और उनका मुख्य कार्य अप्रत्यक्ष रूप से किसानों और मजदूरों का शोषण कर ‘उड़ते तीर’ लेकर अपना टाइम पास करना है। हमारा मीडिया भी इन दिनों अच्छी खबरें देने की जगह सिर्फ ‘उड़ता तीर’ लेने और देने की खबरों को जोर-शोर से कवर करता है और इन्हें निरंतर रिपीट करता है। सच्चाई तो यह भी है कि मीडिया में फुटेज पाने और चैनलों के उकसावे में आकर बहुत से लोग ‘उड़ता तीर’ ले रहे हैं। यह तो अच्छा हुआ कि उड़ता तीर लेने के एक बहुत बड़े विशेषज्ञ अन्ना हजारे पिछले कुछ समय से क्वारंटाइन पर चले गए हैं। अन्ना हजारे दुनिया में सर्वाधिक समय तक क्वारंटाइन पर रहने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुके हैं । आजकल जावेद अख्तर भी ‘उड़ते तीर’ ले रहे हैं। ‘उड़ता तीर’ कभी भी घातक हो सकता है लेकिन इसे लेने वाले को प्रचार और लाइमलाइट खूब मिलती है।