जयपुरधर्म

वर्ल्ड हैरिटेज सिटी जयपुर में 1 प्राचीन मंदिर ढ़हने को तैयार

खंड-खंड होने लगा मंदिर, बेसमेंट में अतिक्रमण और अवैध निर्माण से पूरे मंदिर में आई दरारें, शिखर के पत्थर गिरे

धरम सैनी

जयपुर। पूरे विश्व के एकमात्र भगवान कल्कि मंदिर पर संकट के बादल छा गए हैं। यह मंदिर कभी भी गिरने की स्थिति में आ गया है। बस एक छोटा-मोटा भूकंप आने या फिर मंदिर के बेसमेंट में कुछ हलचल होने भर की देर है और यह प्राचीन मंदिर मलबे के ढेर में तब्दील हो जाएगा। कारण यह कि मंदिर के बेसमेंट में अवैध अतिक्रमण और निर्माण के कारण पूरे मंदिर में शिखर तक गहरी दरारें आ गई है, जिन्हें दुरुस्त करना असंभव नजर आ रहा है।

यह खबर सामने आई है जयपुर स्मार्ट सिटी कंपनी से। कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि उनकी ओर से मंदिर के जीर्णोद्धार का काम कराया जा रहा है। कार्य शुरू करने के दौरान मंदिर के नीचे के हिस्सों में दरारें नजर आई, लेकिन जब मंदिर के शिखर तक बांस, बल्लियां बांध कर जांच की गई तो पाया गया कि यह दरारें बेसमेंट से लेकर शिखर तक आई है। बेसमेंट में किए गए अवैध निर्माण के कारण पूरा मंदिर बुरी तरह से हिल गया है। हाल यह है कि शिखर के पत्थर तक गिरने लगे हैं। यही कारण है कि जीर्णोद्धार में लगे आरटीडीसी ने फिलहाल एक सप्ताह से यहां अपना काम रोक दिया है।

अवैध निर्माण के कारण आई दरारें

क्लियर न्यूज ने इस खबर की सत्यता की जांच की तो हकीकत सामने आ गई। मंदिर से सटाकर उत्तर दिशा में एक पुरानी हवेली बनी हुई है। देवस्थान विभाग के रिकार्ड के अनुसार वर्ष 2014 में इस हवेली में से चरपेटा दीवार तोड़कर मंदिर के बेसमेंट में अतिक्रमण कर 70 से 80 फीट लंबा और करीब 15 से 20 फीट चौड़े हॉल का निर्माण करवा लिया गया। इसी हॉल को प्राचीन मंदिर में आई दरारों का प्रमुख कारण माना जा रहा है।

शिकायत, जांच, नोटिस के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई

मंदिर के पुजारी कृष्ण मुरारी शर्मा ने देवस्थान विभाग को इस मामले की शिकायत की। विभाग की ओर से जांच कराई गई और मंदिर के बेसमेंट में अतिक्रमण और अवैध निर्माण पाया गया। जांच के बाद विभाग ने अतिक्रमी को 15 दिसंबर 2014 को नोटिस जारी कर दिया। इस मामले में थाना माणकचौक में भी जांच लंबित है। वहीं संरक्षित स्मारक में हुए अवैध निर्माण को लेकर पुरातत्व विभाग की ओर से भी देवस्थान को नोटिस दिया जा चुका है।

पुरातत्व विभाग की आशंका हुई सच साबित

अवैध निर्माण को लेकर देवस्थान विभाग और अतिक्रमी के बीच लंबे समय तक खींचतान चलती रही, लेकिन पुरातत्व विभाग की नींद चार साल बाद खुली। चूंकि यह मंदिर पुरातत्व विभाग की ओर से संरक्षित स्मारक घोषित है, इसलिए विभाग ने 1 अगस्त 2018 को देवस्थान आयुक्त (प्रथम) जयपुर को नोटिस जारी कर कहा कि वह अतिक्रमणकर्ता पर आवश्यक कार्रवाई कर पुन: यथास्थिति बहाल कराएं, ताकि भविष्य में मंदिर में होने वाले नुकसान से बचा जा सके। नोटिस में पुरातत्व विभाग की ओर से आशंका जताई गई थी कि बेसमेंट के निर्माण से भविष्य में प्राचीन मंदिर को किसी भी प्रकार की क्षति पहुंच सकती है और पुरातत्व की आशंका सच साबित हो गई है।

नुकसान को लेकर अधिकारियों ने यह दिए जवाब

प्राचीन मंदिर में हुए नुकसान के संबंध में जब पुरातत्व विभाग के अधिकारियों से जानकारी चाही गई, तो वह बोलने से बचते रहे। वहीं देवस्थान विभाग के उपायुक्त (प्रथम) आकाश रंजन ने बताया कि यह मामला उनकी जानकारी में नहीं है। इस संबंध में वह रिकार्ड देखकर ही कुछ बता सकते हैं। मंदिर में आई दरारों की जानकारी नहीं है, तकनीकी अधिकारियों से इस मामले को दिखवाते हैं।

विशेषज्ञों से मदद ले रहे हैं

मंदिर में जीर्णोद्धार का काम कर रहे आरटीडीसी के कार्यकारी निदेशक (कार्य) माधव शर्मा का कहना है कि मंदिर के मूल ढांचे में बड़ी-बड़ी दरारें है। शिखर से गिरे पत्थरों को बदलने की कोशिश की गई थी, लेकिन दरारों के कारण यह संभव नहीं हो पाया है, इसलिए कुछ समय के लिए काम रोका गया है। प्राचीन मंदिरों के जीर्णोद्धार विशेषज्ञों से तकनीकी मदद लेने की कोशिश हो रही है।

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