जयपुर

पुरातत्व विभाग की कार्यशैली से नाराज मुख्यमंत्री ने इस बजट में स्मारकों के लिए कुछ नहीं दिया

जयपुर। राजस्थान के लिए इससे शर्मनाक बात क्या होगी कि इस वर्ष प्रदेश के वह पुरा स्मारक जिन्हें संरक्षण की दरकार है, वह संरक्षण के लिए तरसेंगे। क्योंकि, पुरातत्व विभाग की कार्यशैली से नाराज मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विभाग को इस बजट में स्मारकों के लिए कुछ भी नहीं दिया है। उल्लेखनीय है कि जो राजस्थान पूरे विश्व में हैरिटेज ट्यूरिज्म के लिए विश्वभर में पहचाना जा रहा है, वहीं पर पुरा स्मारकों के संरक्षण के लिए बजट नहीं मिलना काफी गंभीर बात है।

सूत्र कह रहे हैं कि अधिकारियों की कार्यशैली से नाराजगी के चलते इस बजट में विभाग के हाथ खाली रह गए। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री विभाग से खासे नाराज चल रहे हैं, क्योंकि विभाग के अधिकारियों ने आज तक मुख्यमंत्री के अंतर राशि हटाने के निर्देश को नहीं माना है।

मुख्यमंत्री कार्यालय से इस बाबत विभाग से स्पष्टीकरण भी मांगा जा चुका है, इसके बावजूद अधिकारी ठेकेदारों को राहत देने के बजाए अंतर राशि वसूल रहे हैं। विभाग में ऊपर से नीचे तक फैले भ्रष्टाचार और सरकारी राजस्व को चूना लगाने के मामले मुख्यमंत्री कार्यालय की नजर में है। ऐसे में कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री कार्यालय पुरातत्व विभाग के खिलाफ जल्द ही सख्त कदम उठा सकता है।

पुरातत्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि स्मारकों के लिए बजट नहीं मिलने से इस वर्ष संरक्षण और जीर्णोद्धार के नए काम नहीं होंगे। विभाग को पिछले वर्ष मार्च में कुछ बजट मिला था, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण काम नहीं हो पाए थे, ऐसे में उस बजट को अब खर्च किया जा रहा है। पिछले वर्ष के बचे हुए बजट में जितना काम हो पाएगा, उतना काम स्मारकों पर करा लिया जाएगा।

इस वर्ष के बजट में सरकार ने पर्यटन विकास के लिए 500 करोड़ रुपए का फंड दिया है। पर्यटन सूत्रों का कहना है कि कोरोना के बाद पर्यटन क्षेत्र को फिर से खड़ा करने के लिए इसमें से अधिकांश पैसा तो प्रदेश के पर्यटन क्षेत्रों की ब्रांडिंग में निकल जाएगा, ताकि पर्यटक फिर से राजस्थान का रुख कर सकें।

सरकार ने स्प्रिचुअल सर्किट बनाने की घोषणा की है। पर्यटन विभाग की ओर से इन सर्किट में आने वाले प्राचीन धार्मिक स्थलों पर कार्य कराया जाएगा। पर्यटन विभाग में इंजीनियरिंग शाखा नहीं है, ऐसे में प्राचीन धार्मिक स्थलों के संरक्षण का कुछ कार्य पुरातत्व विभाग को मिल सकेगा, लेकिन आरटीडीसी भी प्राचीन मंदिरों के जीर्णोद्धार कार्य करा रहा है, वह भी धार्मिक स्थलों के संरक्षण कार्य की मांग कर सकता है। सरकार ने दो अन्य सर्किट भी बनाए हैं, इन सर्किट में जुड़ने वाली प्राचीन इमारतों के संरक्षण का कार्य पुरातत्व विभाग के हिस्से आ सकता है, लेकिन विभाग के स्मारकों का इससे कोई भला नहीं होने वाला है।

पुरातत्व विभाग के सूत्रों का कहना है कि इस वर्ष के बजट में विभाग को करीब 50 करोड़ से अधिक बजट की उम्मीद थी, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिल पाया। विभाग के पास प्रदेशभर में 335 स्मारक हैं। बजट नहीं मिलने से इन स्मारकों का संरक्षण और जीर्णोद्धार तो दूर वार्षिक रख-रखाव में भी समस्या खड़ी हो जाएगी।

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