आमेर में दो दिन पूर्व आई आपदा ने पुरातत्व विभाग की आंखें खोल कर रख दी है। विभाग की ओर से स्मारकों (monuments) के संरक्षण व अन्य सुविधाओं पर तो खर्चा किया जा रहा है, लेकिन पर्यटकों की सुरक्षा के लिए विभाग द्वारा कोई खास कदम नहीं उठाए गए हैं। ऐसे में अब विभाग ने अपने प्रदेशभर में फैले उन संग्रहालयों (museums) और स्मारकों पर तड़ित चालक यंत्र (lightening initiated device) लगाने का फैसला किया है।
सोमवार को पुरातत्व निदेशक पीसी शर्मा की ओर से प्रदेश के सभी संग्रहालय और स्मारक अधीक्षकों को पत्र लिखा गया था कि वह अपने-अपने संग्रहालय और स्मारकों पर तड़ित चालक यंत्र लगवाना सुनिश्चित करें। इसके बाद जयपुर के सभी अधीक्षकों ने निदेशक के पत्र का हवाला देते हुए विभाग की कार्यकारी एजेंसी आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण (एडमा) को तड़ित चालक यंत्र लगाने के लिए पत्र लिख दिया।
वहीं दूसरी ओर निदेशक पीसी शर्मा ने भी एडमा को जयपुर के सभी स्मारकों पर तड़ित चालक यंत्र लगाने के लिए पत्र लिखा है। जानकारी के अनुसार आमेर महल के मावठे और अल्बर्ट हॉल संग्रहालय पर तड़ित चालक यंत्र लगे हुए हैं। इसके अलावा आमेर महल और उसके परकोटों, नाहरगढ़ फोर्ट, जंतर-मंतर, ईसरलाट, हवामहल, सिसोदिया रानी बाग और विद्याधर बाग में यह यंत्र लगाए जाएंगे। इसके अलावा प्रदेशभर के स्मारकों पर यह यंत्र लगाने का काम पुरातत्व विभाग की ही इंजीनियरिंग शाखा या स्मारक अधीक्षकों की ओर से किया जाएगा।
आमेर में पर्यटकों की जान जाने के बाद मंगलवार को पुरातत्व विभाग (archeology Department) की ओर से वॉच टॉवर की ओर जाने वाले रास्ते पर होमगार्ड की तैनाती कर दी गई और किसी भी पर्यटक को वॉच टॉवर पर नहीं चढ़ने दिया गया।