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आयुर्वेद सिर्फ इम्यून बूस्टर, दवा मानना उचित नहीं

जयपुर। पतंजलि की ओर से कोरोना के इलाज के लिए लांच की गई कोरोनिल दवा पर विवाद खड़ा करने के बाद राजस्थान सरकार ने कहा है कि वह आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को बढ़ाने के लिए संकल्पबद्ध है।

आयुष तथा चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि आयुर्वेद प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों में से एक है, जो कि रोग प्रतिरोधक क्षमताओ को बढ़ाने में कारगर है। इसे इम्यून बूस्टर तो कहा जा सकता है, लेकिन इसे दवा मानना उचित नहीं होगा।

भारत समेत दुनिया के तमाम देश कोरोना की दवा बनाने में लगे हुए हैं, जब तक आईसीएमआर किसी दवा को अनुमति नहीं देता, तब तक उसे बाजार में उतारना जायज नहीं होगा। आयुष मंत्रालय के गजट नोटिफिकेशन के कॉस्मेटिक एक्ट के अनुसार 9 बिंदुओं के आधार पर ही क्लिनिकल ट्रायल किया जा सकता है।

शर्मा ने बताया कि कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए आयुर्वेद विभाग द्वारा प्रदेशभर में आमजन की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए 18 लाख से ज्यादा लोगों को काढ़ा वितरित किया गया है। आयुर्वेद विभाग द्वारा प्रदेश में 13 मार्च से 24 जून के बीच 95 हजार से ज्यादा जगहों पर 18 लाख 84 हजार 41 लोगों को काढ़ा वितरित किया जा चुका है।

वहीं 4 लाख 91 हजार से ज्यादा कोरोना ड्यूटी पर लगाए गए लोगों और उनके परिजनों को भी काढ़ा बांटा गया। सरकार की ओर से होम्योपैथी व यूनानी चिकित्सा पद्धति के द्वारा भी लोगों को कोरोना से लडऩे के लिए इम्यूनिटी बूस्टर दिए गए।

अब तक 1 लाख 35 हजार 632 लोगों को यूनानी जोसांदा व 93 हजार लोगों को कपूरधारा वटी भी बांटी गई। आयुर्वेद विभाग द्वारा प्रदेश में गिलोय रोपण अभियान ‘अमृता’ भी चलाया गया, जिसके तहत 4 माह में 1.50 लाख गिलोय पौधे लगाए जा रहे हैं।

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