राजधानी के आवासीय इलाके के निर्माणाधीन मकान में मिला
एक दिन पूर्व ही रणथंभौर से इलाज के लिए लाया गया था रेस्क्यू सेंटर
जयपुर। राजधानी जयपुर के जयसिंह पुरा खोर इलाके में उस समय हड़कंप मच गया, जबकि स्थानीय निवासियों ने एक निर्माणाधीन मकान में भालू को देखा। घबराए लोगों ने पुलिस और वन विभाग को इसकी सूचना दी। मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने भारी मशक्कत के बाद भालू को ट्रेंकुलाइज कर वापस रेस्क्यू सेंटर पहुंचाया।
वन विभाग के चिकित्सक डॉ अशोक तंवर ने बताया कि शनिवार को रणथंभौर अभ्यारण्य में एक घायल भालू मिला था। भालू शायद किसी अन्य वन्यजीव के साथ संघर्ष में घायल था और उसके शरीर पर गंभीर घाव थे। शनिवार रात 10 बजे भालू को उचित इलाज के लिए जयपुर के नाहरगढ़ अभ्यारण्य में स्थित रेस्क्यू सेंटर लाया गया था और उसे एक पिंजरे में रखा गया था। रात 1 बजे तक वह पिंजरे में ठीक हालत में था।
देर रात भालू तीन पिंजरों की जालियों को तोड़कर फरार हो गया। सुबह 5 बजे रेस्क्यू सेंटर के कर्मचारी उसकी देखरेख के लिए पहुंचे तो वह गायब मिला। इस पर रेस्क्यू टीम को इसकी सूचना दी गई। सुबह से ही रेस्क्यू टीम पगमार्क के जरिए भालू को ढूंढने में लगी थी। इसी दौरान उन्हें सूचना मिली कि करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित जयसिंहपुरा खोर में एक निर्माणाधीन इमारत में भालू को देखा गया है।
सूचना पर रेस्क्यू टीम जयसिंहपुरा खोर पहुंची। जिस मकान में भालू दुबका हुआ था, उस मकान में अभी खिड़की—दरवाजे नहीं लगे थे। ऐसे में भालू के भागने का अंदेशा बना हुआ था। रेस्क्यू टीम ने पहले लोहे की चद्दरों से मकान की खिड़कियों और दरवाजों को बंद किया और उसके बाद भालू को ट्रेंकुलाइज किया गया। एक डॉट में भालू बेहोश हो गया। इसके बाद सुबह करीब 11 बजे उसे रेस्क्यू सेंटर पहुंचाया गया और उसका इलाज किया गया।
घायल होने, लंबे सफर और पिंजरे में कैद होने के कारण स्ट्रेस में था भालू
तीन पिंजरे तोड़ कर भालू के फरार होने के मामले में सवाल खड़े हो रहे थे कि आखिर रेस्क्यू सेंटर में ऐसे कैसे पिंजरे लगे थे, जिन्हें भालू ने तोड़ डाला? अगर सेंटर से कोई शेर या बाघ पिंजरा तोड़ कर फरार हो जाता तो क्या होता? इन सवालों का निदान किया रेस्क्यू सेंटर के एसीएफ जगदीश गुप्ता ने। गुप्ता ने बताया कि भालू रणथंभौर से जयपुर तक सफर के बाद उसे पिंजरे में बंद किया गया था। जंगल में खुले घूमने वाले जानवर को यदि पिंजरे में बंद किया जाता है तो वह स्ट्रेस में आ जाता है। घायल होने और लंबे सफर के कारण भी भालू तनाव में था और इसी तनाव के कारण उसने तीन पिंजरे तोड़ डाले। गुप्ता ने बताया कि भालू जवान उम्र का था और चिकित्सकों ने उसकी उम्र करीब 7 वर्ष बताई है। जवान भालू काफी ताकतवर होता है और उसने स्ट्रेस में अपनी ताकत का इस्तेमाल कर पिंजरों को तोड़ा, लेकिन शेर या बाघ इस तरह से पिंजरे को नहीं तोड़ सकते हैं, क्योंकि वह भागकर या छलांग लगाकर अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हैं, जो जालियों वाले पिंजरों पर नाकाम हो जाती है, जबकि भालू अपने शरीर और पंजों से ताकत लगाता है।