राजस्थान भाजपा (BJP) में एक बार फिर सियासी हलचल तेज हो गई है। भाजपा निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर के पति के सौदेबाजी के वीडियो (video) को लेकर घिर चुकी है। गुरुवार को वीडियो वायरल होने के बाद जहां एक ओर तो वीडियो की चर्चा रही, वहीं दूसरी ओर यह भी पता किया जाने लगा कि वीडियो वायरल करने के पीछे किनका हाथ हो सकता है।सूत्रों का कहना है कि सौदेबाजी का वीडियो वायरल होना भाजपा की अंतरकलह का परिणाम है और कयास लगाए जा रहे हैं कि एक पूर्व महापौर की ओर से यह खेला किया गया है।
सूत्रों के अनुसार इन पूर्व महापौर (mayor) और बीवीजी कंपनी से अभी तक अच्छे संबंध है। इनके बारे में यह भी कहा जाता है कि यह बड़े-बड़े खेल करने में काफी माहिर है। कंपनी को भुगतान में परेशानी होने पर इन्होंने यह पूरी पटकथा लिखी गई बताते हैं। वीडियो वायरल होने के पीछे शहर भाजपा को तवज्जो नहीं मिलना भी कारण माना जा रहा है, क्योंकि की कार्यप्रणाली उन्हें पसंद नहीं आ रही थी। गुर्जर को शहर में प्रतिद्वंदी के रूप में भी देखा जा रहा था।
भाजपा सूत्र बता रहे हैं कि सौम्या गुर्जर को संगठन व संघ कार्यालय की सहमति से इस पद पर थोपा गया था। गुर्जर को संघ और संगठन महामंत्री का वरदहस्त प्राप्त था। संगठन महामंत्री से नजदीकी के चलते गुर्जर के पति और करौली के पूर्व सभापति राजाराम गुर्जर ने राम मंदिर निर्माण के लिए भी जयपुर में सबसे पहले 1 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की थी। संघ प्रचारक निंबाराम खुद यह राशि लेने सौम्या गुर्जर के घर गए थे।
इसी के चलते निलंबन के बाद से प्रदेश संगठन की ओर से गुर्जर को बचाने के प्रयास किए जाते रहे, ऐसे में संगठन की ओर से शहर विधायकों को बुलाकर इस मामले में साथ खड़े होने को कहा गया, लेकिन विधायकों ने संगठन को ही आंखें दिखा दी और कहा कि बनाते समय हमसे क्यों नहीं पूछा गया था?
सूत्र बता रहे हैं कि इस प्रकरण में भाजपा की जो भद्द पिटी है, उसका ठीकरा प्रदेश संगठन पर फूटना तय माना जा रहा है, इसी के चलते इस समय यह वीडियो वायरल करने की कवायद की गई, ताकि प्रदेश संगठन को सबक सिखा कर पुराने हिसाब चुकता किए जाएं। ऐसे में कहा जा रहा है कि सौम्या गुर्जर को संगठन महामंत्री की नजदीकी कहीं भारी तो नहीं पड़ गई?
इस प्रकरण ने भाजपा की चाल, चरित्र और चेहरे वाली छवि को तार-तार करके रख दिया है और इस बदनामी के लिए प्रदेश संगठन और संघ को जिम्मेदार माना जा रहा है, ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि भाजपा इस बदनामी से बचने के लिए क्या कदम उठाती है? क्या न्यायालय से राहत नहीं मिलने पर भाजपा महापौर सौम्या गुर्जर से इस्तीफा लेगी?