जयपुर

महंगी बिजली (expensive electricity) को लेकर विधानसभा (assembly) में भाजपा (BJP) ने सरकार को घेरा

जयपुर। राजस्थान में महंगी बिजली (expensive electricity) को लेकर भाजपा (BJP) ने विधानसभा (assembly) में शून्यकाल के दौरान स्थगन प्रस्ताव के जरिए सरकार को जमकर घेरा। नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, विधायक जोगेश्वर गर्ग, मदन दिलावर सहित अन्य विधायकों ने सरकार के बिजली में आत्म निर्भर वाले बयान पर जमकर निशाना साधा।

स्थगन प्रस्ताव के जरिए नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने इस मामले को उठाते हुए कहा कि प्रदेश में ऐसा कोई उपभोक्ता नहीं बचा जिसे बिजली ने करंट नहीं मारा हो। सरकार को इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि जो बिल उपभोक्ताओं के आ रहे हैं, उपभोक्ता उसे भरने के लायक भी है या नहीं। क्योंकि कोरोना काल में लोग टूट चुके हैं। लोगों के पास न पैसा है और न ही काम धंधे है।

कटारिया ने कहा कि केवल बिजली का कनेक्शन लेने और कोई इस्तेमाल नहीं करने के बावजूद उपभोक्ता के 800 रुपए स्थाई शुल्क के नाम पर आ रहा है जो अन्याय है। 2008 में जब हमने सरकार छोड़ी तब तब बिजली कंपनियां 8000 के घाटे में थी और जब आपने सरकार छोड़ी तब यह घाटा 80 हजार के पार पहुंच गया। बाद में हम जब सत्ता में दोबारा आए, तो हमने लोन लेकर 80 हजार करोड़ रुपए चुकाए और कंपनियों को घाटे से निकाला। लेकिन, आज बिजली कंपनियां वापस 86 हजार करोड़ के घाटे में आ गई है। इन कंपनियों की यह दुर्दशा क्यों हुई इसके बारे में सरकार को बताना चाहिए।

कटारिया ने कहा कि कोयले की कमी के चलते कई कंपनियां बंद हो रही है। सूरतगढ, छबड़ा, कालीसिंध के कई प्लांट बंद पड़े हैं। फ्यूल चार्ज जो राजस्थान में लगाया गया है वह अन्य राज्यों की तुलना में बहुत ज्यादा है। दूसरे राज्यों में भी फ्यूल चार्ज लग रहा है, लेकिन कोविड के चलते उन राज्यों ने उसमें छूट दी गई थी। पहले जो 37 पैसा लगता था उसमें किसी राज्य ने में 19 पैसा किया तो किसी राज्य ने 15 पैसे किए। लेकिन हमारे यहां प्रति यूनिट 40 पैसा प्रति यूनिट फ्यूल चार्ज जुडकर आ रहा है।

कटारिया ने कहा कि जब सरकार को सस्ती बिजली मिल सकती है, तब सरकार 12 रुपए प्रति यूनिट बिजली क्यों खरीद रही है। जब शटडाउन हुआ, इमरजेंसी में 20 रुपए प्रति यूनिट बिजली की खरीद सरकार ने बिजली कंपनियों को लखपति बनाने का काम किया है और आम उपभोक्ताओं को लूटा है। सरकार को इस पर सोचना चाहिए कि जिस घर में 50 यूनिट बिजली का खर्च है उसका बिल भी 1000 रुपए का आ रहा है।

उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि सबसे महंगी बिजली होने के बावजूद आठ महीने से कोयला कंपनियों के 1751 करोड़ बकाया क्यों रखा? सरकार ने 2019 में 12470 करोड़, 2020 में 13 हजार करोड़ की महंगी बिजली खरीदी। भ्रष्टाचार का तांडव करने के लिए बिजली महंगी खरीदी। इसके बाद जनता पर जजिया कर लगाया गया। राजस्थान में बिजली खरीद का एक नेक्सस बन गया है, जो चांदी कूट रहा है।

निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए सारा जतन किया जा रहा है। हमारे पावर प्लांट में उत्पादन बंद करके बाहर से महंगी बिजली खरीदने का तर्क समझ से परे है। ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में बिजली कटौती आम बात है। राजनीतिक आधार पर किसानों की वीसीआर भरी जा रही है। बीजेपी के कार्यकतार्ओं को निशाना बनाकर वीसीआर भरी जा रही है।

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