भूपेंद्र पटेल गुजरात के नये मुख्यमंत्री (CM) होंगे। भारतीय जनता पार्टी ने इस तरह गुजरात की राजनीति के खेल (Game of Gujrat politics) में ट्रम्प (Trump) चाल चल दी है और तय किया है कि पाटीदार समुदाय (Patidar Community) से भूपेंद्र पटेल को गुजरात का नया सरदार बनाया जाएगा। इस तरह करीब 5 साल बाद आनंदी बेन पटेल के बाद किसी पाटीदार को दोबारा राज्य की कमान सौंपी जाने वाली है।
भाजपा आलाकमान यानी पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह जो स्वयं गुजरात से ताल्लुक रखते हैं, ने मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के त्यागपत्र के बाद आगामी चुनावों के मद्देनजर यह कदम उठाया है। भाजपा जानती है कि गुजरात की सत्ता के लिए पाटीदार समुदाय को वोट कितने मायने रखते हैं। यही वजह है भाजपा ने आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए पाटीदार समुदाय के भूपेंद्र पटेल पर दांव खेला है।
उल्लेखनीय है कि गुजरात में पाटीदार समुदाय का प्रभाव काफी व्यापक है। इस समुदाय के लोग गुजरात विधानसभा की कुल 182 सीटों में से 70 सीटों पर उलट-फेर का दम रखते हैं। भूपेंद्र पटेल को वर्ष 2022 में होने वाले चुनावों में ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री का पद देने का प्रमुख कदम उठाया गया है।
पाटीदार या पटेल खुद को भगवान राम का वंशज बताते हैं और इस समुदाय का समूचे गुजरात पर जबर्दस्त प्रभाव है। इनकी जनसंख्या उत्तर गुजरात और सौराष्ट्र में काफी अधिक है। 1970 के दशक के अंत तक उनका राज्यभर में राजनीतिक दबदबा रहा है। तब यह समुदाय कांग्रेस का प्रबल समर्थक होता था। हालांकि, 1980 के दशक में कांग्रेस ने क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिमों पर अधिक ध्यान देना शुरू किया।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ‘गरीबी हटाओ’ का नारा देते हुए पाटीदारों को नजरअंदाज करना शुरू किया। इससे पाटीदार समुदाय नाराज हो गया और उसने भाजपा का समर्थन करना शुरू कर दिया। वर्तमान में गुजरात में भाजपा के एक तिहाई विधायक पाटीदार समुदाय से ही हैं।मनसुख मांडविया को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल करना भी पाटीदार समुदाय को प्रसन्न रखने का ही प्रयास कहा जा सकता है।
पिछले कुछ वर्षों में पाटीदार समुदाय ने अपने लिए अन्य पिछड़ा वर्ग में आरक्षण की मांग शुरू कर दी। इस आरक्षण को हवा दी युवा नेता हार्दिक पटेल ने। उन्होंने सरकार के खिलाफ इस मांग के लिए जोरदार आंदोलन चलाकर भाजपा को पाटीदार समुदाय से विमुख करने की चेष्टा की। पाटीदारों को भाजपा से विमुख करने के लिए कांग्रेस ने पाटीदारों के आंदोलन को हवा दी। हालांकि भाजपा ने गरीब सवर्णों को आरक्षण 10 फीसदी आरक्षण में पादीदारों को शामिल किया है किंतु अब भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाने की कवायद करके पाटीदारों का झुकाव अपने साथ ही रखने का प्रयास किया है।