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‘बच्चियों ने रोते हुए फिल्म छोड़ दी…’ संसद में महिला सांसद ने ‘एनिमल’ की बखिया उधेड़ी

‘एनिमल’ फिल्म भले ही बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन कर रही हो, लेकिन इसे लेकर नकारात्मक प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। पहले सोशल मीडिया पर लोग बेबाकी से इस फिल्म में दिखाई गई हिंसा के प्रस्तुतीकरण की आलोचना कर रहे थे, अब इस फिल्म के विरोध के सुर संसद में सुनाई दे रहे हैं।
गुरुवार को कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य रंजीत रंजन ने ‘सिनेमा का युवाओं पर पड़ता नकारात्मक प्रभाव’ विषय पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, ‘सिनेमा समाज का आईना होता है। हम लोग सिनेमा देखकर बड़े हुए हैं और सिनेमा हम सभी को प्रभावित करता है, खासकर युवाओं की जिंदगी को वह प्रभावित करता है। आजकल की फिल्मों में महिलाओं के प्रति असम्मान को फिल्मों के जरिए सही ठहराया जा रहा है।’ रंजीत रंजन ने तीन मुद्दे उठाए।
1. अब नकारात्मक किरदारों को बच्चे आदर्श मानने लगे
रंजीत रंजन ने कहा, ‘आजकल कुछ अलग तरह की फिल्में आ रही हैं। कबीर सिंह हो या पुष्पा हो… आजकल एक एनिमल पिक्चर चल रही है। मैं आपको बता नहीं सकती… मेरी बेटी के साथ बहुत सारी बच्चियां थीं, जो कॉलेज में पढ़ती हैं। …आधी पिक्चर में उठकर रोते हुए चली गईं। इतनी हिंसा उसमें है। महिलाओं के प्रति असम्मान को फिल्मों के जरिए सही ठहराया जा रहा है। कबीर सिंह और एनिमल में जिस तरह हीरो अपनी पत्नी के साथ सलूक करता है, लोग, समाज और फिल्में उसे सही ठहराते दिखाई दे रहे हैं। ये बहुत ही सोचने वाला विषय है। बहुत सारे ऐसे उदाहरण हैं कि इन फिल्मों या उसमें दिखाई जा रही हिंसा के जरिए हीरो को गलत और नकारात्मक तरीके से पेश किया जा रहा है। 11वीं और 12वीं के बच्चे इन्हें अपना आदर्श मानने लगे हैं। इस वजह से इस तरह की हिंसा हमेशा समाज में देखने को मिल रही है।’
2. धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं
रंजीत रंजन ने आगे कहा, ‘उच्च कोटि का इतिहास रहा है पंजाब का, हरिसिंह नलवा का। इस फिल्म में एक गाना है- अर्जुन वेल्ली ने जोर के गंडासी मारी। फिल्म का हीरो दो परिवारों के बीच नफरत की लड़ाई में बड़े-बड़े हथियार लेकर सरेआम हिंसा करता है और कोई कानून उसे रोकता या सजा देता नजर नहीं आता। जहां तक अर्जुन वेल्ली गाने का सवाल है, हरिसिंह नलवा कमांडर इन चीफ थे। उन्होंने मुगलों-अंग्रेजों के खिलाफ उनकी बढ़ती हुई सत्ता को रोकने के लिए लड़ाई लड़ी थी। उनका बेटा था अर्जुन सिंह नलवा। उन्होंने कई मुसलमानों को 1947 में बचाने का काम किया था। इस उच्च कोटि के इतिहास से जुड़े गाने को बैकग्राउंड में गैंगवार के साथ दिखा रहे हैं। इससे हमारी धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं। गुरु गोबिंद सिंह जी जब मुगलों से लड़ाई लड़ रहे थे, तब वे एक लोकगीत के जरिए अपनी फौज में जोश पैदा करते थे।’
3. ऐसी फिल्में कैसे पास होकर आ रही हैं?
सांसद ने कहा, ‘सेंसर बोर्ड ऐसी फिल्मों को कैसे बढ़ावा दे सकता है? किस तरह से ऐसी फिल्में पास होकर आ रही हैं, जो हमारे समाज के बीमारी हैं। ऐसी फिल्मों का स्थान हमारे समाज में नहीं होना चाहिए।’

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