जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने गुरुवार को बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी और अभिनेता सलमान खान के खिलाफ SC-ST एक्ट के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया। यह एफआईआर दिसंबर 2017 में चूरू कोतवाली पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि फिल्म टाइगर जिंदा है के प्रमोशन के दौरान दिए गए टीवी इंटरव्यू में वाल्मीकि समुदाय के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की गई।
एफआईआर पर कोर्ट की टिप्पणी
हाईकोर्ट की एकल पीठ, न्यायमूर्ति अरुण मोंगा की अध्यक्षता में, ने फैसला सुनाया कि SC-ST एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए उचित जांच और मंजूरी जरूरी है। अदालत ने यह भी कहा कि एफआईआर में लगाए गए आरोपों से कोई आपराधिक अपराध साबित नहीं होता।
एफआईआर की वैधता पर सवाल
• अदालत ने कहा कि घटना 2013 की थी, जबकि एफआईआर 2017 में दर्ज की गई, जोकि तीन साल की देरी से हुई। इस देरी ने मामले की प्रामाणिकता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।
• अदालत ने यह भी पाया कि एफआईआर में जिस SC-ST एक्ट की धारा 3(1)(r) और 3(1)(u) का हवाला दिया गया है, वे 2016 में जोड़ी गई थीं। ऐसे में इन धाराओं को 2013 की घटना पर लागू करना कानूनी रूप से गलत है।
कोई दुर्भावनापूर्ण इरादा नहीं पाया गया
न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि एफआईआर में जिस शब्द का उल्लेख है, वह वाल्मीकि समुदाय का अपमान करने के इरादे से नहीं कहा गया था।
अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के वकील प्रशांत पाटिल ने दलील दी कि “भंगी” शब्द संस्कृत में “टूटे” या “खंडित” के लिए भी इस्तेमाल होता है और इसका जातिगत संदर्भ जरूरी नहीं है। उन्होंने ऑक्सफोर्ड हिंदी-इंग्लिश डिक्शनरी का हवाला दिया, जिसमें इसे भांग पीने वालों के लिए भी प्रयुक्त बताया गया है।
मामले का पृष्ठभूमि
शिकायतकर्ता अशोक पंवार ने शिल्पा शेट्टी और सलमान खान पर आईपीसी की धारा 153K और SC-ST एक्ट की धारा 3(1)(D) और 3(1)(P) के तहत मामला दर्ज कराया था। यह मामला उस समय व्यापक विरोध का कारण बना, जिसमें वाल्मीकि समुदाय के सदस्यों ने टाइगर जिंदा है की रिलीज के दौरान सिनेमाघरों में तोड़फोड़ की।
न्यायालय का फैसला
इस निर्णय ने शिल्पा शेट्टी और सलमान खान को लंबे समय से चल रही कानूनी लड़ाई से राहत दी और उन्हें आरोपों से मुक्त कर दिया।