चीन बीआरआई पर अगले सप्ताह महासम्मेलन करने जा रहा है। इस सम्मेलन में भारत के दोस्त रूस के राष्ट्रपति पुतिन भी हिस्सा लेंगे। यह वही पुतिन हैं, जो जी-20 सम्मेलन के लिए भारत नहीं आए थे। चीन की यह परियोजना उसके और दुनिया के लिए संकट का सबब बनती जा रही है।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपने ड्रीम प्रॉजेक्ट बेल्ट एंड रोड के 10 साल पूरे होने पर अगले सप्ताह महासम्मेलन करने रहे हैं। चीन के इस सम्मेलन में दुनिया के 130 देशों ने हिस्सा लेने के लिए हामी भरी है। भारत ने इस सम्मेलन से दूरी बना रखी है और वह बीआरआई का हिस्सा भी नहीं है। इस सम्मेलन में भारत के ‘दोस्त’ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी हिस्सा लेंगे।
पुतिन नई दिल्ली में हुए जी20 शखिर सम्मेलन में हिस्सा लेने नहीं आए थे। एक तरफ जहां चीन इस बीआरआई सम्मेलन के जरिए शक्ति प्रदर्शन करने जा रहा है लेकिन यह पूरी परियोजना उसके लिए गले की फांस बनती जा रही है। वह भी तब जब चीन ने बीआरआई को दुनिया में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए शुरू किया था।
चीन ने बुधवार को घोषणा की कि वह अगले सप्ताह अपने बीआरआई पहल के एक दशक पूरे होने पर विदेशी नेताओं की एक बड़ी बैठक की मेजबानी करेगा। बीआरआई जिनपिंग की चीन के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने की योजना का एक प्रमुख हिस्सा है। चीन का कहना है कि इस पहल के तहत उसने अब तक दुनियाभर में दो ट्रिलियन डॉलर से अधिक के समझौते किए हैं। आगामी 17 और 18 अक्टूबर को आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में 130 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है।
रूस के राष्ट्रपति भी लेंगे हिस्सा, जाएंगे चीन
इस सम्मेलन में शी जिनपिंग उद्घाटन भाषण देंगे और विदेशी नेताओं के लिए स्वागत समारोह आयोजित करेंगे। चीन इससे पहले साल 2017 और साल 2019 में भी इस तरह के सम्मेलन आयोजित कर चुका है। हालांकि अमेरिका के मिडिल ईस्ट कॉरिडोर और यूक्रेन युद्ध को देखते हुए चीन का यह सम्मेलन बहुत खास होने जा रहा है। चीन का दावा है कि बीआरआई ने इसके सदस्य देशों को ‘वास्तविक लाभ’ पहुंचाए हैं, लेकिन असलयित में श्रीलंका, पाकिस्तान जैसे देश इसकी वजह से कर्ज के गंभीर संकट में फंस गए हैं। इस बीच रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि वह इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। पिछले साल यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से चीन में उनकी पहली यात्रा होगी। रूस ने कहा कि शीर्ष रूसी राजनयिक सर्गेई लावरोव भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे और चीन के अपने समकक्ष वांग यी के साथ बातचीत करेंगे। अमेरिका से मिल रही चुनौती के बीच चीन और रूस एक-दूसरे को सामरिक सहयोगी बताते हैं। यूक्रेन युद्ध के बाद से ही दोनों ही देश अक्सर अपनी श्कोई सीमा नहींश् वाली साझेदारी और आर्थिक और सैन्य सहयोग के बारे में बात करते हैं।
चीन के संकट का सबब बन रहा बीआरआई कर्ज
चीन ने यूक्रेन युद्ध की निंदा करने से इनकार कर दिया है। चीन ने खुद को एक तटस्थ पक्ष के रूप में पेश करने की कोशिश की है, जबकि साथ ही रूस को एक महत्वपूर्ण राजनयिक और वित्तीय जीवन रेखा प्रदान की है। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने पिछले महीने कहा था, ‘हम बीआरआई में सक्रिय रूप से भाग ले रहे देशों और भागीदारों का स्वागत करते हैं कि वे बीजिंग आएं और सहयोग योजनाओं पर चर्चा करें और सामान्य विकास की तलाश करें।’
एशिया से लेकर अफ्रीका तक अरबों डॉलर के प्रोजेक्ट
चीन ने एशिया से लेकर अफ्रीका तक अरबों डॉलर के बीआरआई प्रॉजेक्ट शुरू किए हैं जिसमें कई तो सफेद हाथी साबित हुए हैं। चीन के कर्ज तले दबे ये देश अब अपना पैसा नहीं लौटा पा रहे हैं जिससे ड्रैगन के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। वहीं चीन के कुछ साझेदार चीनी परियोजनाओं लागत के बारे में तेजी से सावधान हो रहे हैं। जी7 के सदस्य देश इटली ने पिछले महीने कहा था कि वह इस बीआरआई प्रॉजेक्ट से बाहर होने पर विचार कर रहा है। बोस्टन विश्वविद्यालय की वैश्विक विकास नीति के विशेषज्ञों की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बीआरआई के तहत कर्ज प्राप्त करने वालों में से कई भारी ऋण संकट से ग्रस्त हैं। कई देश चीन को अपने बाहरी ऋण का एक बहुत बड़ा हिस्सा देते हैं। चीन की इसी चाल को देखते हुए नेपाल जैसे देश इससे दूरी बना रहे हैं।