ओटावा। कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने रविवार को घोषणा की कि देश में 28 अप्रैल को तात्कालिक (Snap) चुनाव कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से बढ़ते व्यापार और टैरिफ युद्ध के खतरे से निपटने के लिए उन्हें एक मज़बूत जनादेश की आवश्यकता है, ताकि कनाडाई अर्थव्यवस्था को पटरी से उतरने से बचाया जा सके।
विदेश नीति और जलवायु कर पर फैसले
प्रेस वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री कार्नी ने बताया कि उनकी सरकार ने:
• ऑस्ट्रेलिया के साथ नया रक्षा समझौता किया है,
• फ्रांस और ब्रिटेन के साथ संबंध मज़बूत किए हैं,
• और यूरोपीय संघ के साथ नए व्यापार समझौते के लिए बातचीत शुरू की है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कार्बन टैक्स को खत्म कर दिया गया है, क्योंकि यह समाज में विभाजन उत्पन्न कर रहा था।
गवर्नर जनरल से मुलाकात, संसद भंग करने की सिफारिश
प्रधानमंत्री कार्नी ने ब्रिटेन के राजा चार्ल्स के प्रतिनिधि गवर्नर जनरल से मुलाकात कर कनाडा की संसद भंग करने और चुनाव की घोषणा की सिफारिश की।
BBC की रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा, “मैं अपने साथी कनाडाइयों से एक मज़बूत और सकारात्मक जनादेश चाहता हूं। कनाडा को सुरक्षित करने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।”
ट्रंप को बताया सबसे बड़ा खतरा
कार्नी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कनाडा के लिए “हमारे जीवनकाल का सबसे बड़ा खतरा” बताया। उन्होंने आरोप लगाया, “वो हमें तोड़ना चाहते हैं ताकि अमेरिका हमें अपना बना सके। हम ऐसा नहीं होने देंगे।”
उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापारिक टकराव के दौर में कनाडा को एकजुट रहना होगा और ऐसी आर्थिक रणनीति अपनानी होगी जो हर नागरिक को लाभ दे।
आगामी चुनाव में संभावित प्रतिद्वंदी
28 अप्रैल के चुनाव में कार्नी को जिन प्रमुख नेताओं से चुनौती मिल सकती है, वे हैं:
• पीयर पोइलीएवर – कंजरवेटिव पार्टी के नेता
• जगमीत सिंह – न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) के प्रमुख
• ईव-फ्रांसुआ ब्लैंशे – ब्लॉक क्विबेकुआ (Bloc Québécois) के नेता
मार्क कार्नी: एक पूर्व केंद्रीय बैंकर से प्रधानमंत्री तक
मार्क कार्नी एक पूर्व दो बार केंद्रीय बैंक गवर्नर रह चुके हैं (कनाडा और ब्रिटेन दोनों में)। उन्होंने 9 मार्च को लिबरल पार्टी के नेता के रूप में पदभार संभाला, जब पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने जनवरी में अपने इस्तीफे की घोषणा की थी।
जनमत सर्वेक्षण क्या कहते हैं?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार:
• 2015 से सत्ता में रही लिबरल पार्टी हाल तक कंजरवेटिव्स से पीछे चल रही थी,
• लेकिन, अब उनकी लोकप्रियता में बढ़ोतरी देखी गई है और वो थोड़े से अंतर से आगे निकलती दिख रही है।